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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी तइओ चरि। // 24 // च्छिअंतेण कुमर ! मे भणियं / जाणामि नेव किं पुण मह देहं गाढमस्सत्थं // 151 // हसिऊण तेण भणियं पुव्वं चिय साहियं |* | मए तुज्झ / एवंविहमहिलाणं न सुंदरं दंसणं होई // 152 / / ता तीए चक्खुदोसा एसो सम्वोवि तुज्झ संतावो / दाविञ्जइ सा हत्थंपरिच्छेओ। | पट्ठीए जेण होइ सुहं // 153 // नीससिय मए भणियं संदेहो जीवियस्सवि य अम्हं / तं पुण सुहिओ भाओ य परिहास कीस नो कुणसि ? // 15 // | तो भणइ माणुवेगो सम्भावविवजियस्स पुरिसस्स / अन्नायम्मि सरूवे किं काउं सक्किमो अम्हे ? // 155 / / ताहि मए बजरिया || साहिजइ तस्स जो न याणाइ / तं पुण जाणतोवि हु औलियं चिय पुच्छिसि ममंति // 156 // एमाइवयणवित्थरवजरणपरायणाण | अम्हाणं / चूपलया गिहदासी आगंतूणं इम भणइ // 157 // अच्छइ दुवारदेसे समागया तुम्ह दंसणनिमित्तं / सोमलया नामेणं वर|धाई कणगमालाए // 158 // तो भणइ माणुवेगो लहुं पवेसेह एष भणियम्मि / अह सच्चिय सोमलया समागया अम्ह पासम्मि // 159 // कयउँवयारा ताहे उवविद्या भणइ सायरं वयणं / एगंतं कुणह तओ चूयलया पेसिया तत्तो // 160 // भणियं सोमलयाए सरणागयवच्छला जओ सुयणा / परितायह परितायह ममं तओ भीमवसैणाओ // 161 // हरिसाऊरियहियएण ताहे एवंविहं मएक भणिय / कत्तो भद्दे ! वसणं, सा भणई कुसुमबाणाओ॥१६२॥ ईसीसि विहसिऊणं वञ्जरियं ताहि भाणुवेगेण / कडकडियसव्वसंधि गयलायनं तुह सरीरं // 153 / / निबट्ठदंतपंति सियकेसहसंतसीससोहिल्लं / दरपलंबिरवलिवलयसहियसिहिणेहिं बीभच्छं // 16 // // 24 // अस्वस्थम् / 2 तस्मात् सा तव पृष्ठे हस्तं दाप्यते येन सुखं भवेत् / 3 अलीकम् / 4 उपचारः सत्कारः। 5 व्यसनं कष्टम् / 6 गतलावण्यम् / . akall निनष्टदन्तपक्तिकम् / भणइ सायरं वय मम तओ भीमवसेणाओ अरियं ताहि भाणुवेगेण बाभळ // 164 // For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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