________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandir मड्डाए तहवि निवडइ मह दिट्ठी तीए मुहकमले // 136 // अणुरायतंतिबद्धा दिट्ठी जणसंकुलेवि मग्गम्मि / सरिऊण सणिय सणियं जत्थ पियं तत्थ अल्लियइ // 137 / / सहिजणपच्छन्नेहिं पुणो पुणो तरलदिट्ठिपाएहिं / भद्दवयमेहविज्जूए विलसियं तीए विजियंति // 138 // तो तीए तरलम्हलदिट्ठीबाणेहिं जञ्जरे हियए / मज्झ पविट्ठा पंचवि कुसुमसरा मयणपविमुक्का // 139 // एत्यंतरम्मि तीए सहिनिवहो नियगिहेसु संचलिओ / सावि हु बाला चलिया पुणो पुणो मं पुलोएंती // 140 // बलियग्गीवं तीए ससिणिज| वंगदिद्विदोरेणे / आयड्डिय पच्छवं मह हिययं शत्ति अवहरियं // 141 // नाउंवहरिजंतं मह हिययं तीए पयविलग्गाई। कूयंति नेउराई पुणो पुणो कुढियपुरिसोय // 142 // मयणत्ता सा जंती अणमिसनयणेहिं पुलइया ताव / जावुजाणतरूहि अंतरिया दिद्वि| मग्गाओ॥१४३।। बोलीणदंसणाए तीए मह माणसम्मि संतावो / दुव्विसहो संजाओ समय अइदीहसासेहिं // 144 // अह भणइ | भाणुवेगो गच्छामो नियगिहम्मि अम्हेवि / एवंति मए भणिए समागया दोवि गेहम्मि // 145 / / तत्तो अहमारूढो उपरिमभूमीए | तत्थ सयणीए / पासुत्तो उवविट्ठो मह पासे भाणुवेगोवि // 146 // तो भणइ भाणुवेगो कीस तुम दुम्मणोव्व संजाओ?। मुंचसि विसायगम्भे सुदीहरे कीस नीसासे 1 // 147 // किं कुणसि अंगभंग दीहं नीससिय मुक्कहुंकारो। भट्ठियचणगो विव सयणीए कीस | तडफडसि // 148 // किंकिंपि चिंतिऊणं अणिमित्तं चेव कीस तं हससि / निययविगप्पवसेणं कीस पुणो दुम्मणो होसि // 149 // नाणारससंकिन नौडयकव्वं अहिणवेमाणो / किं चिट्ठसि न य साहसि सम्भावं किंचि अम्हाणं ? // 150|| एवं च तेण बहुसो पु 1 बलात्कारेण / 2 आलायते-श्लिष्यति / 3 भद्दबओ-भाद्रपदः / 4 पम्हल-पक्ष्मलम् / 5 दोरो-गुणः / 6 अपहियमाणम् / 7 कुढो हृतानुगमनम् , * तद्वान् कुढिओ / 8 मदनार्ता / 9 दृष्य / 10 समय-सह / " प्राध्यास्थितचणक इव / 12 तडफडसि-परितश्चलसि / 13 नाटककाव्यम् / 14 अभिनयन् / For Private and Personal Use Only