________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी चरि। // 23 चतसृभिः कलापकम् // तं दटुं चिंतियं मे का एसा हंदि ! मणहरसरुवा / किं नागकन्नगेसा अवइना, अहव वणलच्छी ? // 122 // तहओ | किंवा सुरलोगाओ पन्भट्ठा तियससुंदरी एसा / किंवा मयणविउत्ता होज रई गहियदेहत्ति? // 123 // एवं विगप्पमाणो अणमिस- परिच्छेओ। नयणेहिं तं पुलोएंतो / तीएवि पुलोइओ हं ससिणिद्धअवंगदिट्ठीए // 124 // पुट्ठो य भाणुवेगो का एसा कस्स बाबि महिलत्ति ईसीसि विहसिऊणं अह भणिय माणुवेगेण // // 125 / / एईए संकहाए न हु कजं किंचि उट्ठिमो ताव | एसा हु बंकर्वकं जोयइ * | तुह संमुहं जेण // 126 // अंगेसु निवडमाणा दिट्ठी एवं विहाण महिलाण / देहं कुणइ असत्थं अवस्स हिययं अवहरेजाः॥१२७॥ | तत्तो य मए भणियं परिहासपरो सि अम्हे एमेव / पुच्छामो कोउगेणं तं पुण अनं विअप्पेसि // 128 // तो भणइ माणुवेगो * | इमम्मि नयरम्मि अत्थि पैयडजसो / खयरो अमियगई तस्स भारिया चित्तमालत्ति // 129 // एसा एगा धूया ताणं जाया अणो-* वमगुणड्डा / नामेण कणगमाला विनाणसेमनिया कन्ना // 130 // तत्तो य मए भणियं का एसा मयणपूयणं कुणइ ? / एसावि का सहीए पुरओ वत्तं कहेमाणी // 131 // को व इमो अवलंबइ गलए वेसाए तरुणओ पुरिसो? / एमाइ मए पुट्ठो हसिऊण तओ o इमं भणइ // 132 // एवंविहपुच्छाहिं कीस तुमं सुयणु ! में पैयारेसि ? / को जुन्नमंजरिं कजिएण पवियारिउ तरह 1 // 133 // न हु सुयणु! पढमपुच्छं एरिसपुच्छाहिं छाइउं तरसि / किडेएहिं पयत्तेणवि छाइजइ कह णु पेच्चूसो 1 // 134 // एवं च तेण भणिओर लजाए अहोमुहो ठिओ अहयं / तं दठु भाणुवेगो ठिओ अलक्खोव्व होऊणं // 135 / / लजाए तस्समए बॉलिजंतीवि अन्नओहुत्तं / अवतीर्णा / 1 स्निग्धापाझरष्ट्या / 3 ईषदीषत् / 4 अस्वस्थम् / 5 विकल्पसे / 6 प्रकटयशाः / 7 दुहिता-पुत्री / 8 अनुपमगुणाव्या।। समन्निया // 23 // समन्विता / 10 वार्ताम् / 11 प्रतारयसि / 12 जीर्णमार्जारीम् / 13 काञ्जिकं 'कांजी' इति भाषायाम्। 14 शक्नोति / 15 कटैः। 16 प्रत्यूषः सूर्यः / *17 अलक्ष्यः। 18 वार्यमाणापि। For Private and Personal Use Only