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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandit तइओ परिच्छेओ। अह सोवि मए पुट्ठो केण तुम एरिसाए घोराए / खित्तो सि आवयाए केण व कजेण भद्द मुहा! // 1 // एवं च पुच्छिओ सो | सदुक्खमइदीहरं च नीससिउँ / चित्तमंतरगुरुदुक्खस्यगं मोत्तुं अंसुजल ॥२।अह सो भणइ सुभणिओ संसारे रागमोहियमणाणं / E सुलहाओ आवयाओ जीवाण बंदीहदंसीणं // 3 // संसारसागरम्मी परिममताण भद्द! जीवाणं / न हु चोअमावयाहिं अनिजंतिय करणवग्गाणं // 4 // पुवकयकम्मदोसा दुक्खं सबंपि जायइ जियाण / अवराहेसु गुणेसु य निमित्तमेवं परो होइ / / 5 / / परमत्थओ न केणइ सुहं व दुक्ख व कीरइ नरस्स / पुवकयमेव कम्मं सुहदुहजणणम्मि तल्लिच्छ // 6 // तत्तो य मए भणिय एवं एयंति नत्थि | al | संदेहो। तहवि हु विसेसकारणवियाणणे अम्ह इच्छत्ति // 7 // अह भणइ भो सुंदर ! जइ एवं सुट्ठ तुम्ह निबंधो / ता एगमणो | होउं साहिजतं निसामेहि // 8 // अत्थेथ भरहखेत्ते विक्खाओ खेयरावलीगम्मो। तुंगोव्य रुप्पपुंजो दसदिसिपसरतकंतिल्लो ॥९॥झर-1 | झरझरंतनिज्झरहुंकाररवेहि बहिरियदियंतो / मयरंदपाणलंपडअलिवलयविरायमाणवणो // 10 // वहमाणवाहिणीणं दिसिदिसिसुव्वंत खलहरासद्दो। ठाणे ठाणे विजाहरोरुपुरपंतिसोहिल्लो // 11 // विजापसाहणुजयविजाहरसंनिरुद्धएगतो / वरसिद्धाययणेहिं परिमंडिय-* | आपदि / 2 अदीर्घदर्शिनाम्-अविमृश्यकारिणाम्। 3 चोद्यम्। 4 आपद्विषयो नच प्रष्टव्यः, सुगमत्वादित्यर्थः / 5 अनियन्त्रितः अवशीकृतः करणानामिन्द्रियाणां के वर्गः समूहो यैस्तेषाम् / ( जीवानाम् / 7 विज्ञाने। 8 निबन्ध: आग्रहः / 9 कध्यमानम्। 10 वाहिनी नदी। 11 सुव्वतो भूयमाणः / 12 सोहिल्लोशोभावान् / 13 उज्जया उद्यताः / For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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