________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरीचरि। बीओ परिच्छेओ। // 15 // एवं पिउणा भणिया लजाए अहोमुही ठिया बाला / पुणरुत्तं पुट्ठावि हुन किंचि पडिउत्तरं देइ // 158 // तो चिंतिउं पयत्तो एया | लज्जालुया इमा वरेई / न हुसका वारिउ एसो मह ताय ! इट्ठोति // 159 // ता चिंतेमि सयं चिय अणुरूवमिमीए पवरमत्तारं / / | विनाणरूवसंपयकलियं वरवंसउप्पच // 160 // खणमेगमच्छिऊणं राया चिंताउरो भणइ तत्तो। पुत्ति ! तुह रूवसरिसो भत्ता लद्धो All मए इहि // 161 / / सिद्धत्थपुरे राया सुग्गीवो नाम मह परं मित्त / तस्स तुमं गच्छ लॅहुँ सयंवरा, एत्थ किं बहुणा ? // 16 // एवं च भणियमेत्ते सा कन्ना देव ! तुम्ह नामेण / निसुएणं चिय जाया हरिसवसुल्लसियरोमंचा // 163 / / नाऊण तीए भावं राया | संपेक्खिऊण मह वयणं / वञ्जरह, तं महाबल! वच्चसु सिद्धत्थनयरम्मि // 16 // घेत्तु सयंवरमिमं कणगवई भूरिभूइसंजुत्तं / कइव| यबलसंजुत्तो सोहणतिहिकरणनक्खत्तो // 165 // युग्मम् / / जं आणवेसि भणिउं तत्तो हं तं गहीय संचलिओ / जाव य कमेण एत्तो | जोयणमेचम्मि संपत्तो // 166 // अञ्ज रयणीविरामे कइवयतुरएहिं वेगवंतेहिं / उग्गिलिय आगओ हं तुम्हाण पियं निवेएमि / / Na // 167 // देव ! महमेयमागमणकारण पुच्छियं हि तुमए / एवं चंवत्थियम्मि संपह देवो पमाणति // 168 // हरिसाऊरियहियो अह राया भणइ परियणं निययं / महया विच्छड्डेणं नयरे कनं पवेसेह // 169 // तो परियणेण सम्मं तहत्ति संपीडियम्मि वयणम्मि / सोहणलग्गे रमा परिणीया तत्थ कणगवई // 170 // सा रनो कणगवई कालेण अईव वल्लहा जाया / मह माऊए ठाणे वि| हिया अह पट्टबद्धा सा // 171 // अइवल्लहंपि वीसरह माणूस देसकालैअंतरियं / वल्लीसमं हि पिम्मं जं आसन्नं तहिं चडइ // 172 / / 1 पुणरुत्त-भूयः / 1 वराकी / 3 अच्छिऊण-आसित्वा / 4 लघु यथा स्यात्तया, शीघ्रमिति यावत् / 5 निसुर्य-श्रुतम् / 6 करण=वव-बालबादि ज्योति:शाखप्रसिद्धम् / 7 इतो नगरात् / 8 भने भूत्वा / 9 चावस्थिते / 1. संपादिते नियुंडे / 11 अन्तरित व्यवहितम् / 12 प्रेम / // 15 // For Private and Personal Use Only