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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | वचंति वासराई मह पिउणो तीए गाढरत्तस्स / सिढिलीकयसेसोरोहेरमणिगमणाइचेट्ठस्स // 173 // अह अन्नया कयाइवि कणगव| ईए सुओ सुमुप्पनो / सुरहोत्ति विहियनामो पत्तो सो कुमरभावम्मि // 174 // अन्नदियहम्मि एवं एगते भणइ कणगवई देवी / | जुवरायपए कि नवि अहिसिच्चइ देव ! मे पुत्तो // 175 / / तो भगइ नरवरिंदो जेढे पुत्तम्मि सुप्पइट्ठम्मि / 'विजंते न हु जुत्तं जुव| रायं ठाविउं सुरहं // 176 / / भणिय देवीए तओ जेडट्ठवणे निहोर्डेउ को णु / जइ तुज्झ अहं दइया ता सुरहं कुणसु जुयरायं | // 177 // ताहे रमा मणिय सुटु पिया तं सुलोयणे ! मज्झ / किंतु इमस्सऽणुरत्ता सामंतमहंतया सव्वे // 178 // तह एसो सुस मत्थो एवं विहिए विहेज तं किंपि / अवमाणिो हु जेणं ममावि रजं अवहरेजा // 179 // तो भणइ हसिय देवी एरिससत्तेण कह | तुम विहिणा / पिययम ! राया विहिओ नेवरि किराडो कॅओ होन्तो // 180 // जेणेव सुप्पइट्ठोएरिसओ उकडो पयावेण / तेणेव | इम सिग्छ कट्ठहरे खिवसु जैतेण // 18 // ततो य मम पुत्तं जुवरायं ठाविउ पयत्तेण / अच्छसु विगयासको रजं च ममं च माणतो // 182 / / एवं देवीवयणं सोउं पडिउत्तरं अदाऊणं / राया समुट्ठिऊण अत्थाणे गंतुमुवविट्ठो // 183 / / एयं च देविवयण | सहवियानामियाए चेडीए / पच्छन्ने सोऊणं सई घणदेव ! मह सिढें // 184 // तं सोउं मह विगप्पो चित्ते एयारिसो सडप्पनो। | कि कणगवईए वुत्तो करेज एवं पिया मज्झ१ // 18 // . अहवा। न गणंति पुवनेहं न य नीई नेय लोयअववायं / न य भाविआवयाओ प्ररिसा महिलाण औयत्ता // 186 / / ता जा अवरोधः अन्तःपुरम् / 2 अभिषिच्यते / 3 विद्यमाने / 4 निवारयतु / 5 अन्यथा। किरातः / 7 कृतः / 8 उत्कटः / 1 कष्टरहे, काष्ठरहे El वा-कारागृहे इत्यर्थः। 10 यत्नेन / " चेटी-दासी / 12 उक्तः / 13 पिता / 14 आवया आपत् / 15 आयत्ताः आधीनाः / For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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