________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | सोगकरणति // 142 // एवं च बहुविगप्प भणिओ सो सुमइणा नरवरिंदो। तकालुचियं सवं मइकिच्चं कुणइ देवीए // 143 // कइव-| यदिणाई परिचत्तलोयसंभावणाइवावारो। गहगहिओ इव चिट्ठइ राया देवीए सोगेण // 144 // सुमइमुहेहिं तावय नाणाविहसोयमोयणहिं / बोहिजंतो गिराहिं जाओ कालेण गयसोगो॥१४५।। नाऊण अट्ठवरिसं ममं तओ गरुयपुत्तनेहेण / संगहिय उवज्झायं | गाहेइ कलाणसंदोहं // 146 // गहिए कलाकलावे गामसहस्सं तया महं दिनं / मह दंसणेण राया साहारइ देविविरहंपि // 147 // | अह अनया कयाइवि अत्थाणगयस्स राइणो झत्ति / पणमिय दुवारवालो वजरइ सहवो एवं // 148 // चंपापुरीओ सामिय! महंतओ कित्तिधम्मनरवइणो / देवस्स देसणत्थं चिट्ठइ पडिहारभूमीए // 149 / / सिग्धं पवेससुत्ति य भणिए सो राइणा अणुनाओ। आगम्म विहियविणओ उवविद्वो उचियठाणम्मि // 150 // तंबोलाइपयच्छणपुवं सो राइणा समुल्लंविओ / आगमणकारणं भो! साहसु तो भणिउमाढत्तो॥१५॥ चपाए पुरवरीए सुपसिद्धो चेव देवपायाणं / वित्थारियविमलकित्ती राया सिरिकित्तिधम्मोत्थि // 152 / / निजियसुरिंदसुंदरिख्वातिसया समत्थमहिलाण / अब्भहिया से देवी किचिमई लोयविक्खाया / / 153 / / तीय धूया सोहग्गरूवविण्णाणगौरवग्यविया / पायालकन्नयसमा कणयवई नाम वरकन्ना // 154 // संपत्तजोव्वणा सा आभरणविभूसिया पिउसयासे / पट्टविया माऊए तदुचियवरदाणअट्ठाए // 155|| आगम्म पायपडिया पिउणा सा सहरिसं निउच्छंगे। विणिवेसिय अवगूढा भणिया य इमं तु सा कन्ना // 156 / / पुत्ति! नियहिययइडं सामंतमहंतयाण मज्झम्मि / साहसु जेण तुहं सो किजइ भत्ता, किममेणं // 157 / / 1 मृतिकृत्यम् / 2 परिचत्तो=परित्यक्तः / 3 प्रहगृहीतः / 4 पडू-पटुः / 5 बोध्यमानः / 6 संदोहः समूहः / 7 दिन्नं दत्तम् / 8 पयच्छा=प्रदानम्। गारवं गौरवं, तेन अग्घविया पूर्णा। For Private and Personal Use Only