________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी उप तुम्ह बीओ चरिअं। // 14 // | बंभणाण य लिगीणं तह पागयजणस्स / धम्मकिरियाओ सव्वा वैहंति देवे धेरतम्मि // 130 // महिलामेत्तस्स कए न हु जुत्तं तुम्ह | उत्तमनराण / असमंजसमायरित्रं विनायजगस्सभावाणं // 131 // परिच्छेओ। ___अविय / निरुवक्कमकायस्सवि उसभजिणिंदस्स आइदेवस्स / मरणं जायं जइया का गणणा अन्नमणुएसु ? // 132 // निजिय| पडिवक्खस्सवि छक्खंडमहीसरस्स भरहस्स / जइया जायं मरणं का गणणा अनमणुएसु॥१३३॥ गरुयपरकमनिञ्जियरिउबलपाइक्कचक्ककयरक्खा / सोंडीरा नरवइणो सोमजसाऽऽइच्चजसपमुहा / / 134 // जई ताव ते य निहया पावकयंतेण निग्घिणमणेण / अनि वारियपसरेणं का गणणा अन्नलोयम्मि?॥१३५।। युग्मम् // जेसिपि य तित्तीसं आउयमुदहीण पवरदेवाणं / तेसिपि होइ चैवणं का | गणणा अन्नसत्तेसु // 136 // भवणवइवाणमंतरजोइसियाण विमाणवासीणं / जइ नाम होइ चवणं का गणणा मणुयलोयम्मि | // 137 // सो कोवि नत्थि जीवो तिलोयमज्झम्मि जो वसं न गओ। मच्चुस्स पावमइणो मोत्तुं सिद्धे मुंहसमिद्धे // 138|| इय काल* कवलियं पेच्छिऊण सयलंपि तिहुअणं देव / जायम्मि देविमरणे किं सोगं कुणह विहलं तु ? // 139 // जुञ्जइ काउं सोगो मरण |* | जइ होज तीए एक्काए / साहारणम्मि मरणे को सोगो किंव रुनेण? // 140|| अइतणुतणग्गसंगयजललवतुल्लम्मि जीवियवम्मि / | निदासंगे जं पुण उद्विजइ तं महच्छरियं // 1412 // इय लोयस्स सरूवं कुवियकयंतस्स एरिसं दटुं / देविमरणम्मि नरवर ! न हु जुत्तं लिङ्गीना-तपस्विनाम् / 1 निर्वहन्ति / 3 धरां पालयति सति / 4 गुरुणा पराक्रमेण निर्जितं रिपूणां बलं यैस्ते च पाइकाण पदातीनां चक्रेण समूहेन // 14 // कृतरक्षाश्च / 5 शौण्डीराः गर्विणः / 6 कृतान्तः यमः / 7 च्यवन-मरणम् / 8 मृत्योः / 9 सिद्धान्-मुक्तजीवान् / 10 सुखसमृद्धान्। 11 रुदितेन / 12 तणग्ग-तृणाप्रम् / 13 महाश्चर्यम् / For Private and Personal Use Only