________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 984839 *16 * * // 115 // हा वल्लहिं ! हा सामिणि ! हा जीवियदायगे! विसालच्छि!। हा मह हिययनिवासिणि ! हा! कत्थ गया ममं मोत्तुं न // 116 // हा गोरदेहि ! हा पिहुपओहरे! हा सुकोमलसरीरे।। हा कह निग्षिणविहिणा तुह उवरिं पाडिया विज्जू ? // 117 // घणसारघुसिणचञ्चणउचियसरीरम्मि कह णु हयविहिणा। विज्जूनिवाओ विहिओ मज्झ अउन्नेहिं पावेण // 118 // हा देवि! | तुज्झ विरहे नरनारीसंकुलं इमं नयरं / उध्वसियनयरसरिसं अडविसमाणं च पडिहाइ // 119 // किल देवि! तं भणंती तुह विरहे | अच्छिउंन सकेमि / तं कह अहं अंहलो तुमए सहसा परिचत्तो? // 120 // हा! किं न किंपि जंपसि किंवा तं सुपणु! मज्झ रुट्ठा *सि / किंव मए अवर सुंदरि ! तं मज्ज्ञ साहसु ? // 12 // तं चिय मह वल्लहिया नेहो मह नत्थि अन्नइत्थीसु / तुज्झ कए परि चत्तो सयलो ओरोहनारिजणो // 122 // तहवि तुमं किं सुंदरि! निन्भररत्तस्स देसि नालावं ? / ता पंसिय पसिय सामिणि ! उद्विय मह देसु पडिवयणं // 123 // एमाइ जाव विलवइ विविहं राया सकलुणसद्देण / ताव अहं संपत्तो रोवंतो तत्थ धणदेव ! // 124 / / उ| छंगे विणिवेसिय ममं तओ गाढकलुणसद्देण / तं चेव पलवमाणो सुंदीहरं रुवइ बालोव्व // 125 // एत्थंतरम्मि मती सुमईनामो भणइ नरनाह / देव !'अलं रुनेणं मैयकिच्चं कुणह देवीए // 126 // भणइ तओ नरनाहो चंदणदारूणि बाहिं नीणेहे / देवीए जेण समयं अहंपि अग्गीए विस्सामि // 127 / तो भणइ सुमइमंती कायरजणचेट्टिएण किं इमिणा / मरणज्झवसाएणं, अवलंबसु धीर! धीरत्तं // 128 // मरणेण तुज्झ नरवर ! देसो सम्बोवि होइ जं गम्मो / पडिवक्खनरवराणं बालो तह सुपइट्ठोत्ति // 129 // देवाण . अपुण्यैः / 2 अधन्यः / 3 अपराद्धम् भागो विहितम् / 4 प्रसीद / 6 सुदीर्घम् / 7 रुदितेन / 7 मृतकृत्यम्। 8 बहिः / 9 नाययत / 10 गम्यः| आक्रमणीयः प्रतिपक्षनरवराणाम्-शत्रुनृपाणाम् / * * * * * For Private and Personal Use Only