________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरीचरि। बीओ परिच्छेओ। // 11 // | समायरियं // 44 // भणियं धणदेवेणं कीस इमं वहह गुरुविसायंति / अन्नाणं अवरज्झइ, को दोसो एत्थ तुम्हाणं 1 // 45 // दटुं * अणन्नसरिसं मिल्लवई तस्स वयणविनाणं / रूवं तह सुयणत्तं पुणोवि अइरंजिओ भणइ // 46 // पेच्छह एगम्मि नरे केत्तियगुण- | समुदओ समं वसइ / बहुरयणा हु वसुमई सच्चो लोयप्पवाओऽयं // 47 // धी! धी! मह पुरिसत्तं धी! धी! मह एरिसाए | वित्तीए / नियकुलकलंकभूयस्स मज्झ धी! पुरिसजम्मेण // 48 // धी! मज्झ जीविएण कुकम्मनिरयस्स धम्मरहियस्स / एयारिस| पुरिसाण लुंटणकम्मम्मि निरयस्स // 49 // एत्तियमेत्तेणं चिय धन्नोऽहं जं महाणुभावस्स / अक्खयदेहस्स इमस्स देसणं झत्ति संजायं | // 50 // जइ पुण होज विवत्ती समयं भिल्लेहिं जुज्झमाणस्स / ता कह मज्झ अउन्नस्स होज पावस्स नित्थारो // 51 // एमाइ | बहुविगप्पं अप्पाणं निंदिऊण तो भणइ / भो! भो! भिल्ला! सत्थे जं गहियं एत्थ तुम्हेहिं // 52 // तं सबंपि समप्पह इमस्स घण-|| | देवनामवणियस्स / तेहि तणमजायं समप्पियं तस्स तं सत्वं // 53 / / युग्मम् // तत्तो सबालवुड्ढे मिलिए लोगम्मि भयविमुक्कम्मि / | वजरइ सुप्पइट्ठो धणदेवं नेहगब्भमिण // 54 // एत्तो गाउयमेत्ते सीहगुहा नाम अस्थि मे पल्ली / तीए लहुँमागच्छह अजं मह ||* | पाहुणा होह // 55 // भणिय धणदेवेणं एवं होउत्ति ताहे सो सत्थो / धणदेवमग्गलग्गो सीहगुहं झत्ति संपत्तो // 56 / / आवासियस्स | तत्तो वेसिमासनम्मि सत्थलोयस्स / पल्लीवइणा नीओ धणदेवो निययगेहम्मि // 57 // अम्भंगिऊण विहिणा सुगंधतेल्लेहिं पवर| जुवईहिं / अद्धाणपरिस्समनासगेण वरवारिणा न्हविओ // 58 // घणसारसारसिरिखंडचच्चिओ ताहे पल्लिनाहेण / सहिओ पवराहारं | 1 अपराध्यति / 2 सुजनत्वम् / 3 वृत्तिः आजीविका / 4 विपत्तिः विनाशः / 5 निस्तारो मुक्तिः पापात्। तृणमर्यादं यथा स्यात्तथा तृणपर्यन्तमित्यर्थः। | 7 लघु शीघ्रम् / 8 मग्गो पश्चात् / 9 वासस्थानसमीपे। 10 अपितः / For Private and Personal Use Only