________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बीओ परिच्छेओ। सुरसुंदरी- lar // 15 // केवि हु वेविरदेहा सिढिलीकयकच्छबंधणा धणियं / पमुक्कपुरिसयारा अंगीकयदीणजणचेट्ठा // 16 // परिचत्तसयल-* चरिअं। लज्जा कहकहमवि मोक्खणं विमग्गंता। तेसि चिय पावाणं, कुर्णति बहुचाडकम्माणि / / 17 / / केवि हु मयमिव भूपट्ठिसंठियं अप्पयं पैयंसति / केवि हु छुहंति गठिं महीए पक्खाणि जोएत्ता // 18 // जेवि हु इओ तओ इंधणाइअट्ठा गयासि सत्थाओ। // 10 // | तेवि हु कलयलसई सोउं वचंति दूरयरं // 19 // रे! लेहँ हणह बंधह मारह वयणाई भरह धूलीए / सुम्मति तत्थ सत्थे दिसि दिसि | | एवंविहा सदा // 20 // एयावसरम्मि तओ पासित्तु इओ तओ विलुम्पतं / भिल्लेहिं सत्थलोयं कइवयनियपुरिसपरियरिओ // 21 // | उप्पाएंतो तेसिं आगिईए चेव चित्तसंखोहं / वसुनंदयखग्गकरो धणदेवो एवमुल्लवइ ॥२२॥रे। रे! पावा ! जइ अस्थि तुम्ह इह | कावि दप्पकईई। ता हवह मज्झ पुरओ सहसा तं जेण अवणेमि // 23 // मा भणह जं न भणियं एस कैंसवट्टओ सुपुरिसाण / न हि नियजुवइसलहिया पुरिसा पुरिसचणमुर्वेति // 24 // हा! धी! धी! एयस्स उ रे! दुट्ठा! तुम्ह पुरिसगारस्स / नासंतलोयपट्ठीधावणउवलद्धपसरस्स // 25 // एवं च निसामित्ता दोच्चं तच्चं समुल्लवंतस्स / धणदेवस्सुल्लावे सुहडाणवि भूरिभयजणगे // 26 // रे.! | रे! लेह इमस्सवि "फेडेमो. धीरयं किराडस्स / एवं समुल्लवंता बलिया ते झत्ति तयभिमुहं / / 27 / / पत्ता य आहसंता धणदेवस्सं| तिय समंता ते / तिक्खासिकोंततोमरभल्लीहि य पहरि लग्गा // 28 // धणदेवोवि असंको तहा पयट्टेसु तेसु भिल्लेसु / ताण,रमोडि 1 मृतम्-मृतकम् / 2 आत्मानम् / 3 प्रदर्शयन्ति / 4 लात-गृहीत / 5 श्रूयन्ते / 6 आकृत्या / 7 वसुनन्दक एतदाख्यो यः खगः स करे यस्य सः / 8 कण्डतिः पामा / 9 अपनयामि / 10 कषपट्टकः / 11 सलहिया इलाषिताः। 12 द्विः / 13 त्रिः / 14 भ्रंशयामः / 15 धीरताम् / 16 ईषद्धसन्तः / 17 प्रवृत्तेषु / 18 तेषां पुरः स्वं वक्ष ओइयित्वा संस्थाप्य, संमुखीभूयेत्यर्थः / // 10 // For Private and Personal Use Only