________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassaqarsuri Gyanmandir पारद्धेसु य तकालमुचियकिच्चेसु लोएण // 3 // नाऊण पणिहिवसओ भोयणकन्जम्मि आउलं सत्थं / सस्थम्मि तम्मि पडिया झडित्ति * मिल्लाण धाडित्ति // 4 // चतुर्भिः कलापकम् // अवि य। नवमुग्गवनअड्डणकियआजाणुभीसणसरीरा / मसिरासी इव काला कुवियकयंतोव्व दुप्पिच्छा / / 5 / / खरवीभच्छसरीरा पला| सपत्तेहिं विहियसेहरया। गुंजाफलरत्तच्छा उम्भंखरकेसपम्भारा / / 6 / / सनद्धबद्धकवया पडिपएसाऽवणद्धतोणीरा / कनायड़ियधणुहपट्टदीसंतभल्लोडा // 7 // केवि असिवग्गहत्था केवि हु करगहियलेउडया अवरे। गुंफणफेरणसुंकारएहिं जीयं व अवर्णेता // 8 // धिट्ठा निरहियया दिसो दिसिं 'मारि मारि' भणमाणा। अन्नाया एव कुओवि ज्झत्ति भिल्ला समावडिया // 9 // पञ्चभिः कुलकम् // | पडिएसु तओ तेसुं सत्थो सव्वो वि आउलीभूओ। भिल्लाण 'पैउरभावा वक्खेवा सत्थपुरिसाण // 10 // अह तम्मि सरणरहिए ल्हसिजंते समत्थसत्थम्मि / दप्पपरिपूरियंगा हक्किय जंपति केवि नरा // 11 // रे। रे! पिसायरूवा ! कत्थिहि जाह दिहिपहप| डिया। पयडह सव्वं जइ अस्थि तुम्हमिह पोरिसं किंपि // 12 // केवि पुण भीरुहियया वरैया दसणउडगहियअंगुलिणो। हा! हा ! रक्खह रक्खह एवं कलुणाई जंपति // 13 / / केवि हु लुटिजंता इओ तओ तह पहम्ममाणा य / कीवा पलायणट्टा तत्थ गवेसंति छिहाणि // 14 // केवि कहकहवि पावियछिद्दा गाढं च खसफसेमाणा। सणियं सणियं ओसक्किऊण लीयंति गैहणेस प्रणिधयश्चरपूरुषाः, तद्वशात् / 2 घाटी। 3 ढकियआच्छादितं / 4 दुष्प्रेक्षाः / 5 रक्ताक्षाः। 6 उन्भं ऊर्यम्। 7 पन्भारो प्रारभारः समूहः / 8 कर्णाकृष्ट-1 9 लगुडक: यष्टिः / 1. चर्मादिमयं प्रहरणं, 'गोफण' इति भाषायां तस्य 'फेरणं' भ्रमणं तेन जाता ये 'मुंकारया शब्दास्तैः। अज्ञाताः। 12 प्रचुरभावात् / सस्यमाने 14 यास्यत / 15 वराकाः / 16 प्रन्यमानाः / 17 बलीवाः / 18 शनैः शनैः / 19 वनेषु / For Private and Personal Use Only