________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी चरिअं // 123 // | भीमट्टहासपुवं उड्डे उक्खिविय खिबइ खोणीए / दुविसहगुरुकसाघायताडणं कुणइ पुणरुत्तं // 236 // मुंचइ धूलीवरिसं खणेण उवलोह- को पूरियं कुणई / जलणवरिसेण बरिसइ छिंदइ खणेण अंगाई // 237 // काऊण हत्थिरूवं सुतिक्खदंतेहिं देई वेहाई / नियकाइयाए सिंचा परिच्छेओ | लोलइ चलणेहिं भूमीए // 238 // किं बहुणा भणिएण निग्धिणहियएण तेण असुरेण / मुणिदेहे दुबिसहा विहिया नैरओवमा वियणा | // 239 // तीइ वियणाइ साहू अचलियचित्तो सत्थसुहलेसो / धम्मज्झाणोवगओ निंदतो निययदुचरियं / / 240 // कयअणसणो | महप्पा कालं काऊण बीयकप्पम्मि / चंदज्जुणम्मि जाओ विहुप्पहो नाम देवोत्ति // 241 / / अंबरिसी मुणिदेहं पाणविमुकंपि गरुय| रोसेणं / छिंदिय संयहा पत्तो सुलोयणजासमीवम्मि // 242 / / सावि हु पभायसमए काउस्सग्गे ठिया सुहज्झाणे | साहुणिमझोव गया सुमरावियपुव्वदुच्चरिया // 24 // लोहमयपुरिसपडिम फुलिंगजालाउलं विउविय / पावे ! परपुरिसपिए ! अवगृहसु वल्लहं एवं | // 244 // इय भणिय तेण समयं गाढं बंधित्तु जलियदंडेहिं / हणिऊण तक्खणेणं सावि तओ मारिया तेण // 245 // तिसृभिः विशे| षकम् / अविचलियसुद्धभावा कालं काउं विहुप्पहसुरस्स / उप्पन्ना पियदेवी सयंपभा नाम तत्थेव // 246 // इय भो नरवर ! दलु | T रागद्दोसाण दारुणविवागं / दरेण चयसु संग रागद्दोसेहिं पावेहिं / / 247 // वहं विहायाऽऽसु पहिमाणसो मुणीण सो अंबरिसी सुराहमो / कयत्थेमप्पाण मणे गणतो जहागयं ताहि गओ सठाणयं // 248 // साहुधणेसरविरइयसुबोहगाहासमूहरम्माए / रागम्गिदोसविसहरपसमणजलमंतभूयाए // 249 // एसोवि परिसमप्पइ सुलोयणाकणगरहवहो नाम / सुरसुंदरीकहाए चोद्दसमो इह परिच्छेओ॥ ॥चउद्दहमो परिच्छेओ समत्तो।। // 123 // क्षोणी पृथ्वी / 2 वेधान् / 3 नरकोपमा / 4 प्रशस्तशुभलेश्यः / 5 दुच्चरिय-दुश्चरितम् / 6 शतधा / 7 साहुणी साच्ची / 8 सुमराविर्य स्मारि| तम् / 1 आत्मानम् , छन्दआनुलोम्यादनुस्वारलोपः / For Private and Personal Use Only