________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org निययमजायं // 160|| युग्मम् // विनायवइयरेहिं च साहियं नायरेहिं नरवइणो। तेणवि बहुप्पगारं सिक्खविओ महुरवयणेहिं *॥१६शा न य इच्छइ तं मोत्तुं ताहे नाऊण तस्स निबंधं / रन्ना पउरा भणिया असमत्था अम्हे कुमरस्स // 162 // सामेण ता न | मुंचइ दंडो कुमरम्मि तीरइ न काउं / ता खमह एकमेयं अवराहं अम्ह कुमरस्स // 163 / / एयं नरवइवयणं सोऊणं नायरावि दीणमुहा / विच्छायनिराणंदा जहागय पडिगया सव्वे // 164 // कणगरहोवि हु तीए सुरयसुहासत्तमाणसो निच्चं / कमसो सेसंतेउरपरिभोगपरम्मुहो जाओ // 165 / / चिंतेइ न रजठिई न नीई बाहिं न देइ अत्थाणं / सहिओ सुलोयणाए अच्छइ विविहाहिं कीलाहिं // 166 // एवं पभूयकालो वोलीणो तस्स रायतणयस्स / तीए अहिणवजोव्वणसुहफासपसत्तचित्तस्स // 167 / / अह अन्नया कयाइवि परिभृया हंति जायकोचाए / पुट्विं तस्सिट्ठाए देवीए रायसिरियाए // 168 // परिचरियपरिव्वाइयविदिनउम्मायकारओ चुनो। | एगंतपसुत्ताणं दोण्हवि सिरम्मि पक्खित्तो // 169 / / युग्मम् / / तस्स य वसेण दोनिवि सहसा उम्मत्तयाणि जायाणि / गायति हसंति | समुल्लवंति असमंजसं बहुहा // 170 // भीमरहेणवि तत्तो वाहरिया मंततंतिया बहवे। तेवि हु करिति किरियं भूर्यविगारोत्ति मन्नंता / / 171 // | अविय / काउं सरीररक्खं गाढं गहिऊण केवि मुद्दासु / पहणंति गुरुचवेडाघाएहिं कसप्पहारेहिं // 172 // आलिहिय मंडलेसुं * केवि हु विणिवेसिऊण उवउत्ता / अहिमंतिय सिद्धत्थयघाएहिं हणंति पुणरुत्तं // 173 / / केवि हु विरीलतन्नयपुरीसमीसेहिं गुग्गुला 1 तीरद-शक्यते। 2 परम्मुद्दो पराङ्मुखः / 3 नीइ गच्छति / 4 अहमिति / 5 चूर्णः / 6 असमञ्जसम् असंबद्धम् / 7 व्याहृता: आकारिताः। 4 | भूतविकारः / 1 अभिमन्य / 10 बिडालतर्णकपुरीपमित्रै मूषकारिचालकविष्टासहितैः / For Private and Personal Use Only