________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी चरिअं चउद्दहमो // 121 // * ईहिं / उव्वरियम्मी खिवित्ता उद्धवणियं पयच्छति // 17 // वायस्स विगारासंकिरहिं वेजेहि विविहकिरियाओ। पारद्धाओ ना | उणो कोवि गुणो ताण संजाओ।।१७५।। उम्मत्तयरूवेणं पणट्ठचित्ताण वच्चए कालो। अह अन्नया पसुत्ते पाहरियजणम्मि रयणीए | | // 176 / / भंजित्ता नियलाई निहुयं चिय निग्गयाई नयरीओ / दोनिवि भमंति सीउण्हवायबहुदुक्खतवियाई // 177 // युग्मम् // | इय नरवर ! संसारे सुहिओ होऊण जायए दुहिओ। रायावि भमइ भिक्खं सुवइ महीए निरावरणो॥१७८॥ पवराहारविलेवणआह| रणविभूसियाई होऊण / हिंडंति ताई भिक्खं गिहे गिहे दुक्खतवियाई // 179 // धूलीधूसरियाई बालोहहसेजमाणचेट्ठाई। हिंडंति सुदीणाई निवसियजरदंडिखंडाई॥१८०॥ बालोहपेच्छणिज बुहजणसंसोयणिजमच्चत्थं / पिच्छसु नरवर ! जायं तं मिहुणं कम्मदो| सेणं // 181 // एयं च ताव एवं, एत्तो उ पुरीए विजयनामाए / रत्तोऽणंगवईए मुंजइ घणवाहणो भोए // 182 // पडिबोहिओ सुह|म्मेण मरिणा जिट्ठभाउणा एसो। सहिओऽणंगवईए पन्चइओ सरिपासम्मि // 183 // एत्तो य धणवईवि हु वसुमइयाए सिणेहजु ताए। सहिओ पंचपयारे भुंजइ माणुस्सए भोए // 184 // जह सो मोहिलवणिओ रना निव्वासिओ सदेसाओ / काऊण तहारूवं | सुहफलयं किंर्पणुट्ठाणं // 185 / / उववन्नो वेयड्ढे उत्तरसेढीए वेजयंतपुरे / चित्तंगयस्स पुत्तो पुहवीइ सुमंगलो नाम // 186 // साहि| णबहुविहविजो अह सो गयणंगणेण हिंडंतो / कइयावि मेहलावइपुरीए लीलाए संपत्तो॥१८७।। हम्मियतलमारूढा व्हायंती तेण | वसुमई दिट्ठा / पुव्वभवब्भासाओ रत्तो सो तीइ रूवम्मि // 188 / काउं धणवहरूवं उवभुत्ता तेण वसुमई मुद्धा / तीए सुरयपसत्तो अपवरिकायाम् / 2 उधूपनिकाम् / 3 विकाराऽऽशङ्कितृभिः। 4 वैद्यैः / 5 निगडानि / 6 निहुर्य तूष्णीकम्प्रच्छन्नमित्यर्थः / 7 निरावरणः नमः / | 8 संसोयणिज्ज-संशोचनीयम् शोकविषयम् / 9 किमप्यनुष्ठानम् / // 12 // For Private and Personal Use Only