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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org चेव सह तेहिं // 198 // पत्ताए रयणीए निसुया अन्नोत्रमुल्लवेमाणा / एएण बालएण सिज्झिस्सइ जक्खिणी अम्हं // 199 // तुंगीयपब्वयम्मी पत्ता हुँणिऊण बालय एयं / सिद्धाए जक्खिणीए पाविस्सामो निहिं तं तु // 200 // इय तेसिं सोऊणं भणियं, भयवेविरों दढं जाओ / सुत्तेमु तेसु घेत्तुं जयसेणं ताहि नट्ठो हं // 201 // कहकहवि हु नासंतो गवेसमाणेहिं तेहिं हं पत्तो / बंधित्तु तओ | वसमे समारुहेत्ता इहाणीओ // 202 // अज पुणो इह नयरे संपत्तो सत्तमाउ दिवसाउ / तँन्हाछुहाभिभूओ मुको हं एत्थ उजाणे | // 203 / / ता भद्द ! इमं गुरुसोयकारणं साहियं मए तुम्ह / जइ अस्थि कावि सत्ती ता रक्खह बालयं 'त तु // 204|| भणियं धणदेवेणं संपइ चिट्ठति कत्थ ते पुरिसा / सो भणइ गहियकुमरो एगो नग्गोहहेढुम्मि // 205 / / बीओं पुरे पविट्ठो सुराइकजेण संपयं चेव / इय भणिए धणदेवो जोगियपासे गओ तुरियं // 206 // भणिओ य तेण एसो एयं मह देसु बालयं भद्द ! / अयं सुवन-| | लक्खं तुह देमि, न एत्थ संदेहो // 207 // तो जोगिएण भणिय जाव न सो एइ दुइयओ जोगी / ताव मह देसु लक्खं जेण इम देमि तुह बालं // 208 // तत्तो धणदेवेणं समप्पियं अंगुलीययं तस्स / दीणारलक्खमुल्ल मुको य इमेण जयसेणो // 209 // घेत्तूण | अंगुलीयं सिग्घयरं जोगिओ तओ नट्ठो। घेत्तूण य जयसेण धणदेवो देवसम्मस्स // 210 // पासम्मि समल्लीणो भणिओ एसो य | गिन्ह कुमरति / तत्तो य देवसम्मो पहसियवयणो इमं भणइ // 211 // तं सामी तं बंधू तं चिय मह जीयदायगो सुयणु / / है किं किं न कयं तुमए जीयं कुमरस्स दिन्तेण ? // 212 // मह सामियस्स दिन, जीयं जं पाणवल्लहो पुत्तो / पाविट्ठदुट्ठजोगियकयं 1 श्रुतौ। 2 एतन्नाम्नि पर्वते / 3 हुत्वा / 4 वेपनशीलः कम्प्रः / 5 तृष्णा-पिपासा, छुहाम्चत् ताभ्यामभिभूतः पीडितः। 6 त्वम् / 7 न्यग्रोधस्याधः / Is द्वितीयः / 6 द्वितीयः / For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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