________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अइदुलहा संपया य जियलोए / अइदारुणमन्नाणं जीवा मिच्छत्तवामूढा // 143 // परिहायंता भावा धम्मे अइनिंदिओ पमाउत्ति / | खिजइ तणुसामत्थं आउयमवि थोवयं होई // 144 // किं बहुणा ? / नारयतिरियनराऽमरगईसु गुरुदुसहदुक्खतवियाण / मोत्तूणं जिणधम्म जियाण सरणं जओ नन्नं // 145 // | तम्हा तायसमीवं गंतुं सहलीकरेमि मणुयत्तं / नहवाहणेण भणियं अहमवि तायमणुगमिस्सं // 146 // जओ। सामित्तं काऊणं आणानिसकारगस्सावि | कह सेवं काहामो संपइ भिच्चस्स निययस्स ? // 147 // भणियं ताएण | तओ कायवमिमं विवेयजुत्ताणं / तत्तो नियसुयसहिओ तकालुचियं करेऊण // 148 // सुरवाहणकेवलिणो मूले काऊण निम्मलच रितं / निट्ठवियअट्ठकम्मो अंतगडी केवली जाओ // 149 / / युग्मम् / / अह चित्तवेगखयराहिवेण तत्थेव निययनयरम्मि / दाउं स| देसखंड अहिसित्तो खयरराया हं // 150 / / एवं च ठिए कारणवसेण केणइ पभायसमयम्मि / नियनयरा एगागी चलिओ हं स्यण| दीवम्मि // 151|| नहपेट्टिएण दिट्ठा सुंदर! हम्मियतलम्मि पासुत्ता। तं सि तओ अवहरिया मेत्तलसरसल्लिएण मए // 152 // | ता मा रोवसु सुंदरि ! पाणाणवि सामिणी तुम मज्झ / भुंजिहिसि मए सद्धि भोए वेयड्ढसेलम्मि // 153 // तव्वयणं सोउणं वज्जे णव ताडिया सुदुक्खत्वा / इय चिंतिउं पयत्ता हाहा! मह पावपसरस्स / / 154 // मज्झ करणं ताओ पारद्धो गरुयसत्तुणा ताव / | अहमवि इमेण हरिया अन्नत्थ निबद्धरागावि // 155 // धी! धी! मह 'जीएणं न तायआसासण न पियलाभो। सत्तुंजयदिनाए परिहीयमानाः / 2 अनुगमिष्यामि अनुकरिष्यामि / 3 निष्ठापित=निर्णाशितम् / 4 अन्तकृत् / 5 पविओ प्रस्थितः / 6 मेत्तलसरसल्लिएण-कामदेवशरVasell शल्यितेन / 7 घिगस्तु। 8 मम कृतं मदर्थम् / 9 पारद्धो-पीडितः / 1. जीय-जीवितम् / For Private and Personal Use Only