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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी *** बारहमो परिच्छेओ ** संपत्तो / वरिया य तनिमित्तं वरकन्ना कणगमालत्ति // 128 // सा उण विवाहसमए विजाहरचित्तवेगनामेण / अवहरिउं परिणीया चरि | रुट्ठो एसो तओ तस्स // 129 / / अणुमग्गं गंतूर्ण बद्धो सो नागिणीए विजाए / गहिऊण कणगमालं समागओ निययनयरम्मि / | // 130 / / तत्तो विजाच्छेओ जाओ नहवाहणस्स जेणेसो / महिलासमेयविजाहरस्स जाओऽवगारित्ति // 131 // चिरपरिचियदेवेणं // 102 // Mote दिन्नाओ चित्तवेगखयरस्स / विजाओ तेण जाओ विजाहरचक्कवट्टी से // 132 // सयमेव नहयरिंदा सव्वेवि हु पणइमुवगया तस्स। | इय मुणिउ मह जणओ संविग्गो भणिउमाढत्तो // 133 // पिच्छह भो! मणुयाण मणोरहा अन्नहा विसड्डेति / विहिणो बसेण नवरं | अन्नह काण परिणामो // 134 // किर नियतणयं काउं विजाहरचक्कवाट्टिणं, करिही / कयकिच्चो पध्वज केवलिजणयस्स पासम्मि | // 135 // तं पुण अन्नह जायं ता किं कजं इमेण रज्जेणं / नरयाइनिमित्तेणं, सेवामो तायपयजुयलं // 136 / / जओ। संसारो हु असारो घोरा अइदारुणा य नरयम्मि / दुसहाओ वियणाओ चित्तो कम्माण परिणामो // 137 // चवलो hell इंदियगामो रागद्दोसा य दुजया लोए / अणवडियं च चित्तं किंपागफलोवमा विसया // 138 / / अइदुसहो पियविरहो बम्महललियं विवायकडयंति / नरयपुरवत्तिणीओ सेविजंताओ जुबईओ॥१३९॥ कुसमइविसमसंठियपवणाहयसलिलचंचलं जीयं / सामन्नं सबेसि मरण सत्ताण संसारे // 140 // वंचणपरा य जीवा दुट्ठकसाएहिं ताविओ लोओ। असुहफलो घरवासो मणुयत्तं तह य नो सुलहं || // 141 // दुलहा धम्मम्मि मई बहुविग्यसमाउलं अहोरत्तं / पयईए चला लच्छी पेम्मं सुविणोवमं लोए // 142 // आरियखेत्ताईया 1 अपकारी। 2 प्रणतिमुपगताः प्रणताः / ज्ञात्वा / 4 कृतकृत्यः कृतार्थः / 5 ग्राम: समुदायः / 6 विपाकः परिणामः / 7 वर्तिनी मार्गः। 8 सेव्यमानाः / 9 आरियखेत-आर्यक्षेत्रम् / ** // 102 // *** Fer Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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