________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir माणा भणिया हं तेण सुयणु! मा भाहि / नो तुज्झ किंचि विरूवं करेमि पाणप्पिया तं सि // 113 // तुह रूबदसणुप्पन्नगरुयअणुरायपरवसेण मए। हरिया सि कीस सुंदरि! भयभीया एवमुल्लवसि // 114 // वेयड्डनगनिवासी खयरो है सुयणु! मयरकेउत्ति / | भुंजिहिसि मए सद्धिं भोएं किं रुयसि उक्विन्गा? // 115 // एयं च तस्स वयणं सोऊणं हरिसिया अहं चित्ते / किं नाम मज्झ | दइओ एसो सो मयरकेउत्ति ? // 116 // भाया पियंवयाए जस्स तया चित्तविलेहियं रूवं। दट्टण मयणवसगा जाया उम्मत्तिया | अहवा // 117 / / सो अजवि विजाओ साहइ ता आगमो कह णु तस्स ? / कह मह इत्तिय पुना जं सो दीसिञ्ज पच्चक्खं ? // 118 // एमाई चिंतयंती नया हं तेण कथवि पएसे / ओइन्ना भूमीए मुक्का है कयलिगहणम्मि // 119 / / एत्थंतरम्मि रयणी खयं गया | साहिउंव परमत्थं / सम्मं नियछ बच्छे ! न होइ सो वल्लहो एस // 120 / / जाए पभायसमए दिट्ठो सो सामलेण देहेण। तत्तो | गुरुसोगाए विचिंतियं हा! न सो एसो // 121 / / सो ततकंचणनिभो रूवेण अणंगरूवसारिच्छो। चित्तगएण इमस्स ओ सारिच्छे नत्थि थेपि // 122 / / ता किं करेमि इहि सरणविहूणा परब्बसा अयं / इय चितंतीए तया भएण कंपो समुप्पन्नो // 123 // अह | सो दट्टण ममं असुजलासारसित्तगंडयलं / भयभीय कंपतिं एवं भणिउं समाढत्तो // 124 // किं सुयणु! तुम बीहसि भूयपिसाउत्ति| संकिरी मज्झ / निमुणसु जो हं जेण व हरिया कजेण य मयच्छि! // 125 // ___ वेयड्डे वरनयरं गंगावत्तति अस्थि सुपसिद्धं / तत्थ य राया सिरिंगंधवाहणो आसि विक्खाओ // 126 // मयणावलीदेवीए तणओ नहवाहणोति से आसि / बीओ य मयरकेऊ तइओ पुण मेहनाउत्ति // 127 / / नहवाहणोवि साहियविजो अह जोव्वणं तु , विभेहि / 2 भोए भोगान् / 3 पश्य। 4 तत्त-तप्तम् / 5 सादृश्यम् / 6 भूत: पिशाचो वेति शङ्कित्रीत्यर्थः / For Private and Personal Use Only