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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विहिया सुरसुंदरि ! तुमंति // 27 // दीहं नीससिऊणं ताहे सणियं मए समुल्लवियं / जइ एयपि वियाणसि ता किं न संपाडसि झत्ति | // 28 // इय भणिऊण अहोमुहवयणा विलिहामि जाव महिवढं। ताव य सहत्थतालं हसिउ तीए समुल्लविउं // 29 // सब्भावसाहगेणं इमेण वयणेण रंजिया सुयणु!। ता तह करेमि संपइ जह सव्वं सोहणं होई // 30 // इय भणिउं चित्तपडं गहिउं पासम्मि सा गया झत्ति / मह जणणीए तत्तो सिट्ठो सबोवि वुत्तंतो // 31 / / चित्तपडविलिहिओ सो अणंगरूवो पयंसिओ तरुणो / तीएवि गंतुं रनो | सिट्ठो सम्बोवि वुत्तंतो // 32 // अह ताओ तं चित्रं पलोइउं हरिसिओ इमं भणइ / सोहणठाणे रागो संजाओ मज्झ धूयाए // 33 // अहवा न रायहसं मोत्तुं | अन्नत्थ रमइ वरहंसी / तस्सेव वैरिस्सामो साहियविजस्स नियधूयं // 34 // तह भाणुवेगखयरो अम्ह समीवम्मि एइ अणवरयं / तेणेव वरिस्सामो नियधूयं अमरकेउस्स // 35 / / इय नरवइणा भणिए पहसियवयणाए मज्झ जणणीए / भणिया सिरिमई गंतुं साहि| अउ मज्झ धूयाए // 36 / / मा सुरसुंदरि ! इण्हि उव्वेवं कुणसु निययचित्तम्मि / सिद्ध सैमीहियं तुह इय भणिया सिरिमई ताहे // 37 // | मज्झ समीवे पत्ता सिट्ठो सबोवि पुववृत्तंतो। अयंपि हरिसियमणा मणयं जाया समासस्था ||38 // चिंतेमि कइय होही तं दियह | जत्थ सो मए सक्खा / ददृत्वो नयणुच्छवभूओ मणवल्लहो लोओ?॥३९।। तस्संगमआसाए साहारतीए माणसं निययं / ते चैव | चित्तकम्मं आलिहमाणा य अणुदियहं // 40 // सुसिणिद्धसहिजणेणं तप्पावणसूयगेहिं वयणेहिं / जाव य कइवि दिणाई ठिया | अहं संठविजंता // 4 // १भन्तर्भूतणिजथेत्वाद् वारयिष्यामः परिणाययिष्यामः / 2 अनवरतम्-निरन्तरम् / 3 समीहितम् इष्टम् / 4 मनाक् / For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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