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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kebatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * एसो। पञ्चक्खं पिव सवं साहेइ सो अवितहं जाव // 139 // ताहे पहसियवयणो राया नरवाहणो इमं भणति / भो सुमइ ! मज्झ * भगिणी एसा कमलावई कण्णा // 140 // एईए को भत्ता होही मणवल्लहुत्ति वजरसु / सुमई निरूविऊणं निमित्तमेवं समुल्लवइ // 14 // नरवर ! चित्ते लिहियं एईए रूवयं पुलोएत्ता / मुच्छिजिस्सइ जो इह होही भत्ता इमीए सो॥१४२॥ सयलोरोहपहाणा तस्स य होही इमा महादेवी / एत्थत्थे य नरेसर ! मा काहिसि अन्नहाभावं // 14 // एत्थंतरम्मि सागरसेट्ठी संलवइ सुमइनेमित्तिं / सिरि| कंताए भत्ता को होही मज्झ धूयाए // 144 // वजरइ तओ सुमई कसिणभुयंगेण डैसियमेयं जो। उजीविस्सइ सो च्चिय भत्ता धूयाए ते होही // 145 // एवं च पुच्छिऊणं उचियं काऊण तस्स उवयारं / पैट्ठविओ नरवइणा जहागयं पडिगओ सुमई // 146 // तत्तो य भणइ मंती सोहणमहुणा नरिंद ! संजाय / ता इण्हि तब्भणिए कायवो उजमो होइ // 147 // भणियं रमा को इह साइसयं लिहइ चित्तकम्मति / मइसागरेण भणियं सुपसिद्धो ताव इह नयरे // 148 // एक्को चिय कमलावइउज्झायसुमित्तसेणनामस्स / All तणओ उ चित्तसेणो अइकुसलो चित्तकम्मम्मि // 149 / / युग्मम् ॥रना भणियं सिग्धं वाहरह तयंति तक्खणेण अहं। वाहरिओ संपत्तो भणिओ रन्ना सबहुमाणं // 150 // कमलावईए रूवं सिग्पं आलिहसु चित्तफलहीए / जं आणवेसि भणिउं, सोहणवहि तं लिहियं // 151 // देक्खालियं च रनो साइसयं पेक्खिऊण सो तुट्ठो। भणिओ य अहं रना एत्थत्थे तं सि उचिउति // 152 // | चित्तगरवेसधारी एवं घेत्तूण सव्वराईणं / दंसेसु जस्स मुच्छा जायइ एयं पुलोएउं // 153 // सो मह साहेअबो सिग्धं आगम्म, जेण 1 अबितथम्=सत्यम् / 2 अवरोधः अन्तःपुरम् / 3 कसिणो=कृष्णः / 4 दष्टाम् / 5 प्रस्थापितः / 6 आज्ञापयसि / 7 दर्शितं। 8 त्वम् / sells असि। 1. रष्ट्वा / For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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