________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी चरिअं। AL पढमो परिच्छेओ। // 5 // | को अणुरूवो पुरिसो इमीए सुकुलप्पसूओ य॥१२४॥ मइसागरेण भणियं देवो च्चिय एत्थ जाणए उचियं / तत्तो रन्ना भणियं एवं मे फुरई चित्तम्मि // 125 / / कीरइ सयंवरो इह हक्कारिजंतु सव्वरायाणो / जो चेव हिययइट्ठो तं चेव वरेई जेणेसा // 126 / / मइसागरेण भणियं जं देवो आणवेइ त किच्चं / नेवरि सयंवरकरणं संपइ उचियं न काउंजे // 127 // सव्वेवि निवा जइया आयत्ता होति एगनरवइणो। तदणुनाएण तया सयंवरो होइ कायद्यो॥१२८॥ एगस्स जओ वरणे सेसाणं सो निवारगो होइ। संपद पुण रायाणो नरिंद ! सम्वेवि अहमिंदा // 129 / / ता ताणमेगवरणे सेसा सव्वेवि सत्तुणो होति / न य सक्का संगामे जिणिउं सब्वेवि एगेण // 130 // ता अलमिमिणा नरवर ! विग्गहमूलेणणत्थबहुलेण / कमलावईसयंवरकरणेण एत्थ पत्थावे॥१३१॥ तत्तो रण्णा | भणियं कस्सेसा तेरिहि भद्द ! दायव्वा / को व इमीए इट्ठो मणस्स इह कह णु नायवं? // 132 / / जस्स व तस्स व रन्नो दायव्वा | न य मए निययभगिणी। दिन्ना होइ सुदिना जस्स, इमा तस्स दायव्वा // 133 / / एवं च जाव जंपइ राया मइसागरेण सह तत्थ / ताव य दुवारपालो पणामपच्चुट्ठिओ भणइ // 134 // अटुंगनिमित्तविऊ भूयभविस्सत्थपयडणपंडिट्ठो। सुमईनामो इहई समागओ देव ! नेमित्ती // 135 / / सो देवदंसणत्थं दुवारदेसम्मि चिट्ठइ इयाणि / इय सोउं नरवइणा भणियं तुरियं पवेसेहिं // // 136 // तयणंतरं च सुमई निम्मलसियवसणसोहियसरीरो / गोरोयणकयतिलओ समागओ राइणो पुरओ // 137 // आसीपयाण| पुव्वं दाउं र्दुव्वक्खए नरिंदस्स / रन्ना कओवयारो उचियासणगम्मि उवविट्ठो॥१३८॥ रना पञ्चयहेउं अतीयवत्थुम्मि पुच्छिओ 1 आनन्तर्येऽव्ययम् / 1 पादपूरणेऽव्ययमिदम् / 3 यदा। 4 अनर्थबहुलेन / 5 तर्हि / 6 पटिष्ठः चतुरः। आशी:प्रदानपूर्वम / 8 दुर्वाक्षतान् / // 5 // For Private and Personal Use Only