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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी चरि। एगारहमो परिच्छेओ // 89 // PRASANNAE RA%ER**SHRE*** जे ? // 5 // हा पुत्त ! कहमरण्णे मुक्का हं सरणवजिया तुमए / हा ! कहमुच्छंगगओ सहसा असणीभूओ ? // 6 // नूणं निठुररूवं | सई सोऊण जस्स पडिबुद्धा / तेणं चिय अवहरिओ पिसायरूवेण केणावि |7|| जस्स पभावाओ तया सहसा गयणाओ गयवरो पडिओ। सोवि मणी अकयत्थो जाओ मह मंदभागाए ॥८॥ज कंठनिबद्धेवि हु तम्मी अंकडिओवि हा पुत्त ! / हरिओ निकरुणेणं | केणावि अद्दिस्सरूवेण // 9|| एमाइ बहुविगप्पं पलवंतीए तहिं सुदीणाए / मदुक्खदुक्खिया इव खीणा रयणीवि सहसत्ति // 10 // अइकरुण कंदतिं दटुंब ममं ससोयवयणिल्ला / निवडतथूलतारयअंमूहिब रुयइ नहलच्छी // 11 // एत्थंतरम्मि सूरो सुयावहारयनि| हालणत्थव / नासियघणधयारो आरुढो उदयगिरिसिहरं // 12 // अह अपहरमेत्ते दियहे अइदुक्खिया अहं तत्थ / अइकरुण कदंती इओ तओ जाव वियरामि / / 13 / / ताव कमंडलुहत्था मिउवकलवसणधारिणी तत्थ / परिणयवया पसन्ना समागया तावसी एगा / | // 14 // युग्मम् / / दटुं ममं रुयंति विविहपलावेहिं तत्थ वणगहणे / संजायगरुयकरुणा समागया मज्झ पासम्मि // 15 / / महुरवयणेण तीए आपुट्ठा सुयणु ! कीस तं रुयसि / कत्तो समागया इह भीसणर्रन्नम्मि इक्कल्ला ? // 16 / / काउं तीइ पणाम तत्तो वियलंतअंसुयाए मए / कुंजरहरणाईओ सिट्ठो सम्बोवि वुत्तंतो / / 17 / / अह तावसीए भणिय इमस्स जोगा न होसि तं सुयणु। तहवि हु किमित्थ कीरइ सकम्मवसगम्मि जियलोए // 18 // सुंदरि! कम्मवसाणं सत्ताणं इह भवे वसंताणं / एवं विहदुक्खाई हवंति जं| एत्थ न हु चोज / / 19 / / जं किंचि असुहकम्मं अन्नभवे संचियं तुमे आसि / तस्स विवागाओ इमं समागयं सुयणु ! गुरुवसणं // 20 // 1 मन्दभागाया हतभाग्यायाः, / 2 नभोलक्ष्मीः / 3 सुतापहारकनिभाल नार्थम् ; निभालनम् दर्शनम् / 4 मृदुवल्कलयसनधारिणी-कोमलवृक्षत्वग्वना / 5 परिणतवया:पदा / 6 रन अरण्यम् / 7 अस्य दुःसस्य / 8 चोज्ज आश्चर्यम् / // 89 // For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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