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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी AE HI-PR चरि। दसमो | परिच्छेओ ||83 // 246391- निययं / पणमित्ता रायाण विणिग्गओ रायभवणाओ / / 93 // रत्नावि हु गंतूणं देवीभवणम्मि सयलवुत्तंतो / सिट्ठो समप्पिय तह देवीए अंगुलीयं तं // 94 // भणिया य देवि! एवं खणपि हत्थाओ नेव मोत्तव्यं / एयस्स पभावाओ पभवंति न खुद्दसत्ताई // 15 // जिणमंदिरजत्ताई कारवियं ताहि राइणा सव्वं / कमलावईवि तत्तो जाया औवनसत्तत्ति // 16 // सुहसंपडंतहियइट्ठवत्थुसुविणीयपरियणजुयाए / अह सत्तम्मि मासे जाओ देवीए दोहलओ // 97 // लजाए तं कस्सवि जाहे न कहेइ ताव कइयावि / परिहायतसरीरा दिवा रन्ना इमं भणिया // 98 // देवि ! तुह किं न पुजइ दीससि अइदुब्बला जओ इण्हि / देवीए तो भणिय दोहलओ एस मे नाह! | // 99 // वरवीरणमारूढा दाणं "दिती य अथिलोयस्स / तुहउच्छंगनिविट्ठा तुमए छत्तं धरतेण / / 100 // हिंडामि राय ! नयरे परि| यरिया सयलचिवग्गेण / रन्ना भणियं सुंदरि ! कीरइ अहुणा दुयं एयं // 101 / / युग्मम् / / अह पवरपट्टहत्थी सिंगारिय आणिओ निउत्तेहिं / तत्थारूढो राया देवी उण तस्स उच्छंगे // 102 // उवरि धवलायवत्तं मुत्ता| हलरेहिरं संयं रना / धरियं तत्तो विविहं पढ़तथुइपाढनिवहेण // 103 / / तूरेसु रसंतेसु वजंतेसु य असंखसंखेसु / कलपाणएहिं विहिए| वियभमाणे य संगीए // 104 // अत्थिजणपूरियासं दाणं देंता समत्थनयरम्मि / आणंदनिब्भराहिं धुव्वंता नयरनारीहिं // 105 / / * *-*AESARI-248 1 क्षुदसत्त्वादयः / 2 जत्ता यात्रा / 3 आपन्नसत्त्वा-सजातगर्भा / 4 सुखेन संपद्यमानैः हितेष्टवस्तुभिः मुविनीतपरिजनेन च युक्ताबा देव्याः / 5 पूर्यते / 6 वारण: हस्ती / 7 देंतीन्ददती / 8 भूत्या दासः / एते-शीघ्रम् / 1. आनीतः / 1 धवलातपत्रंन्त रछत्रम् / 12 स्वयम् / 13 पठयमानस्तुतिपाठनिवहेन / 14 विजृम्भमाणे संपद्यमाने / 15 स्तूयमाना / // 83 // For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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