________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassaqarsuri Gyanmandir वासम्मि आगओ आसि / तत्थ मए सो भयवं आपुट्ठो निययवुत्ततं // 51 // युग्मम् / / उप्पत्ती कत्थ महं चुयस्स एत्तो भविस्सए भयवं ! ? / तत्तो जिणेण भणिय भरहम्मि य हथिणपुरम्मि // 52 // जो अच्छइ पुत्तत्थी पोसहसालाइ पोसहम्मि ठिओ। सिरिअमरकेउराया तस्स तुम होसि पुत्तोत्ति // 53 / / युग्मम् / / तव्वयणं सोऊणं समागओ राय ! तुह समीवम्मि / ता मा कुणसु 'किलेसं अहयं होहामि तुह पुत्तो // 54 // गेहसु कुंडलजुयलं नरिंद! एयं तओ उ देवीए / जीए इच्छसि पुत्तं दायव्वं तीइ आभरणं // 55 / / इय भणिउं कन्नाणं उत्तारिय कुंडलाई दिव्वाई / रन्नो समप्पिऊणं देवो अईसणीभूओ॥५६॥ रत्नावि रयणिविरमे गंतु देवीए वियसियमुहेण / | सुरदसणाइ सबो वुत्तंतो साहिओ तत्तो // 57 // कुंडलजुयलं अप्पिय पभायकिच्चं करित्तु नीसेसं / पंडिलाहिय साहुजण सयं पभुत्तो वराहारं // 58 / / अह अन्नया य देवी 'रिउण्हाया रयणिचरिमजामम्मि / दटुं सुमिणं सहसा पडिबुद्धा वेविरसरीरा // 59 // भणिया रना सुंदरि! कीस अंकम्हाओ कंपिया तं सि / तीए भणियं पिययम! संपइ सुमिणं मए दिटुं॥६०॥ किल कणगमओ कलसो | मज्झ मुहे 'पविसिउं विणिक्खंतो। केणावि भंजणत्थं नीओ दूरं स कुद्धेण / / 6 / / पुणरवि बहुकालाओ कहवि हुलद्धो स खीरपडिपुन्नो / सियकुसुममालियाए मएवि संपूइओ तत्तो // 62 / / एयं सुमिण दट्टुं मुहकडुयं परिणईइ सुंदरयं / जाओ भएण कंपो मह देहे तेण नरनाह ! // 33 // तं सोऊण नरिंदो जाओ सोगाउरो दढं हियए। वजरइ देवि ! सुविणं लाभं सूएइ तणयस्स // 64 // 1 ओ / 2 क्लेशम् / 3 कर्णाभ्याम् , पञ्चम्याः स्थाने षष्टी / 4 प्रतिलाभ्य आहारदानेन सत्कृत्य / 5 प्रभुक्तः भुक्तवान् / 6 ऋतुस्नाता। 7 स्वप्नम् / 8 वेविर-वेपनशीलम् / 9 अकस्मात् / 10 प्रविश्य विनिष्क्रान्तः। 11 मुखकटुकम् आरम्मे दुःखदम् / 12 स्वप्नः / # *1898234839-4839- 01-2469**669 For Private and Personal Use Only