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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 10 सुरसुंदरी चरि। दसमो परिच्छेओ // 8 // * निसिं नाह ! / नियय थण धयंत थणधयं हंदि ! पिच्छंति // 37 // पच्छा परिणीयाइवि सिरिकंताए सुओ समुप्पन्नो / तुमए मन्ना- | याए न पुणो मह मंदभागाए // 38 // ता देव ! देसु पुत्तं अह नवि ता नस्थि जीवियं मज्झ / तुट्टइ थणोवि अह एइ खीरमन्ना गई नत्थि / / 39 / / तत्तो रन्ना भणियं एत्थत्थे कुणसु देवि ! मा सोगं / आराहित्ता तियसं पूरेमि मणोरहेऽवस्सं // 40 // इय भणिऊणं ale| राया काउं पूर्व जिणिंदपडिमाणं / सियवसणधरो उम्मुक्कसयलमणिकंचणाहरणो॥४॥ पोसहसालं गंतुं अट्ठमभत्तं पगिहिउँ वि. | हिणा / कुससत्थरे निसन्नो एवं भणिउं समाढत्तो // 42 / / देवो व दाणवो वा जिणसासणभत्तिसंजुओ कोवि / जह संनिहिओ सिग्धं | आगच्छउ वंछिय देउ // 43 // एवं च चिंतयंतो एगते संनिरुद्धजणपसरो। निच्चलदेहो चिट्ठइ राया जा तिन्नि दियहाई // 44 // ता | रयणिचरिमजामे विद्धंसियसयलतिमिरसंघायं / भासुरदेहं पुरिसं दह्रण विचिंतए राया // 45 // युग्मम् / / निमिसंति लोयणाई ता | किं एसो न होइ देवोत्ति / न य मणुयाण सरीरे जायइ एवंविहा दित्ती // 46 // ता होज इमो को पुण चरणावि महिं फुसंति नेयस्स / एवं विगप्पयंतो राया आभासिओ तेण // 47|| भो अमरकेउनरवर ! उग्गतवेणं किलामिओ सि न किं / एवं भणमाणो सो अन् ट्ठिय राइणा भणिओ // 48 // को सि तुमं कत्तो वा समागओ कहसु मह महाभाग ! ? / भणियं सुरेण नरवर ! कहेमि कोहलं जइ ते // 49 // 129 ईसाणकप्पवासी विहुप्पहो नाम सुरखरो अहयं / आसन्नचैवणसमओ परलोयहियं समायरिउ // 50 // तित्थयरवंदणत्थं विदेह 1 स्तनम् / 2 धयंत="धै पाने पिबन्तमित्यर्थः। 3 स्तनन्धयं सुतम् / 4 मान्यायाः / 5 कुशसंस्तारके। 6 निषण्णः स्थितः। 7 दिवसानि। 8 Ell दीप्तिः। 9 स्पृशतः / 10 क्लान्तः / 11 अभ्युत्थाय / 12 कौतबलम् / 13 च्यवन-मरणम् / For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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