________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir *विलेवणाहरणवत्थमाईहिं / पूइय भणिया देवी सुयस्स नामं करेसुत्ति // 22 // भणियं देवीए तओ सिद्विणि ! तुह चेव होइ उचिय-* | मिणं / तहवि तुमए भणियं कायव्वमवस्समम्हाणं // 23 // गहिऊण निउच्छंगे तं वालं कमलकोमलकरहिं / कमलावईए भणिय सुगंधगंधे खिवंतीए // 24 // सिरिकताए जणिओ धणदेवेणं तु बालओ एसो / माउपिउअद्धनामो सिरिदेवो नाममयस्स // 25 // अइसोहणं हि नाम विहियं देवीइ इय भणतेण / अविहवनारिंगणेणं मंगलसद्दो समुग्घुट्ठो // 26 / / अह तं मणहरदेहं मुट्ठीकयकरजुयं |विसालच्छं। सुकुमालपाणिपायं दद्दूण विचिंतए देवी // 27 // धन्ना मज्झ वयंसी जीएं सुओ एरिसो समुप्पन्नो। जणमणनयणाणंदो मह पुण एयंपिन हु जाय // 28 / किं मज्झ जीविएणं किंवा मह विहलगव्वरज्जेण / जा नियतणयस्स मुहं पिच्छामि न मंदभग्गत्ति / / 29 / / एमाइ चिंतयंती आभासित्ता वयंसियं निययं / रन्ना सहिया देवी संपत्ता निययगेहम्मि // 30 // तत्थ य तं चितंती | सुयजम्मुकंठिया संसोइल्ला / परिचत्तदेहचिट्ठा उबिग्गा सयलकजेसु ॥३शा मत्ता व मुच्छिया इव मुत्तव्य मयव्य विगयँसत्तव्य / झाणगयजोगिणि इव उवरयनीसेसवावारा // 32 // परिहायंतसरीरा गुरुसोयायासेसाममुहकमला / रना कयाइ दिट्ठा पुट्ठा कमलावई ताहे // 33 / / तिसृभिः कुलकम् / / देवि! तुमं किं विमणा दुब्बलदेहा य दीससे इण्हि / किं वंछियं न पुजइ साहीणे किंकरम्मि मैए | // 34 // भणियं देवीए तओ अंसुजलासारसित्तसिहिणाए। पिययम! तुह प्पसाया संपञ्जइ वंछिय सव्वं // 35 // तं नत्थि किंपि | सोक्खं तुह प्पसायाउ जं न मे पत्तं / नवरं पुत्तपलोयणसोक्खं सुइणेवि नो द8 // 36 / / धन्नाउ ताउ नारीओ इत्थ जाओ अहो 1 आभरणम्-विभूषणम् / 3 अविधवा-सभर्तृका। 3 जीइ-यस्याः। 4 सशोका / 5 चेष्टाध्यापारः / 6 उद्विग्ना-सिन्ना / 7 विगतसत्वा / 8 परिहाHe यंत-परिहीयमानं कृशीभवदित्यर्थः / 9 आयासो यत्नः / 1. पूर्वते / 11 स्वाधीने। 12 मयि / 13 स्वप्ने / 14 याः / For Private and Personal Use Only