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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी जंतवजवरमजणाइवावारो। वरवत्थमाइएहिं संमाणियसाहुसंदोहो // 7 // भोजियसयणसमूहो समाणियवणियनायरमहल्लो / जणज- दशमो चरिअं। Rणियचमकारो सुयजम्ममहूसवो विहिओ // 8 // एवं कयकायबो संपत्ते बारसम्मि दियहम्मि / गहिऊण दरिसणीय संपत्तो राइणो * परिच्छेओ मूलं / / 9 // कयविणओ धणदेवो भणइ महाराय ! सेट्टिवयणेण / देवीसहिएण तुमे भोत्तव्वं अम्ह गेहम्मि // 10 // हसिऊं रना ||8|| भणिय न होइ कि सेट्टिणो इमं गेहं ? / पिउसरिसो जं सेट्ठी विचिंतगो सयलरजस्स ? // 11 // तहवि हु सेट्ठी जं भणइ किंचि तं चेव अम्ह कायव्वं / इय भणिए धणदेवो महापसाउत्ति भणिऊण // 12 // नियगेहे गंतूणं तकालुचियं समत्थकरणीयं / नियपरियपोण कारइ आणंदियमाणसो जाव // 13 // देवीसहिओ राया करेणुयाविसरपरिगओ ताव / संपत्तो सेट्ठिगिहे बंदिजणुग्घुट्ठजयसद्दो // 14 // तिसृभिः कुलकम् / / कयमंगलोवयारो उत्तरिय करेणुयाइ देविजुओ। वरमुत्ताहलविरइयचउक्कसीहासणे पवरे // 15 // उवविट्ठो देविजुओ तत्तो य विलासिणीहिं पवराहिं / औरत्तियावयारणपमुहम्मि विहिम्मि विहियम्मि // 16 / / भुत्तो दिव्वाहारं नियप- | | रियणसंजुओ जहाविहिणा / गोसीसविलत्तंगो परिहावियदिव्ववरवत्थो // 17 // तिसृभिः कुलकम् // विणय एणं तत्तो धणदेवेणं इमं तु विनत्तो / देवीए पियभगिणी वजरइ इमं महाराय ! // 18 // पसवंति पिंउहरम्मी पढमं किल सयलवणियजायाओ / कारणव- | सेण केणवि संजायं नेव तं मज्झ // 19 // ता देविदसणेणं इहेव किल पिउहरंति मन्नामि / ता जइ इत्तियभूमि आगच्छइ होइ ता ||* लट्ठ // 20 // एवं च तेण भणिए अह देवी राइणा अणुण्णाया / सिरिकताए समीवे संपत्ता कंचुईसमेया // 21 // तत्थ य मणोरमाए 1 वज्ज-वर्य=श्रेष्ठम् / 2 उपढीकनम् / 3 देच्या युतो युक्तः / 4 आरात्रिकावतारणप्रमुखे / 5 कर्तरि के भुक्तवान् / 6 नए-नतेन / 7 विज्ञप्तः / // 8 // | 8 पितृगृहे / 1 कञ्चुकिः प्रतिहारः / For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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