________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एसोवि परिसमप्पइ सिरिकतातणयपसवणो नाम / सुरसुंदरिनामाए कहाए नवमो परिच्छेओ // 250 // // नवमो परिच्छेओ समतो॥ दसमो परिच्छेओ। तकम्मकुसलविलयासमूहविहियम्मि सहकम्मम्मि / हेल्लुत्तावलिगिहदासिविहियतकालकरणिज्जे // 1 // सहरिसपरियणवजरिय- | वजसुयजम्महरिसियमणेण / धणधम्मसेटिणा अह वद्धावणयं समाढत्तं // 2 // युग्मम् / / अविय / गहियक्खवत्तपविसंतनयरनारीजणोहरमणीयं / रमणीयणमुहमंडणवावडनियबंधुवरदारं // 3 // वरदारग्गनिवेसियवंदण-19 |मालासणाहसियकलसं / सियकलसहत्थपविसंतवट्टकिजंतकलसदं // 4 // कलंसद्दपउरपाउलमंगलसंगीयपवरपेक्खणय / पेक्खणयपि|क्खक्खित्तलोयदिअंततंबोलं / / 5 / / तिसृभिः कुलकम् // अविय घोसियजीवाऽघाओ मोयावियविउलबंदिनिउरंबो। दिजंतविविहदाणो दीणाणाहाइसुहजणओ॥६॥ पइजिणमंदिरकि विलया वनिता / 2 हर्षाकुला / 3 वर्य श्रेष्ठम् / 4 वावडं व्यापृतम् / 5 दारगं द्वाराअम् / 6 सनाथ युक्तम् / . बद्रो-मार्गः 8 कलशब्दप्रचुराणि यानि पापकुलानि तेषां यन्मालार्थ संगीतं तेन प्रवरं श्रेष्ठं प्रेक्षणकं यत्र वर्धापनके / 9 प्रेक्षणकं दृश्यं तस्य प्रेक्षणे आक्षिप्ता ये लोकास्तेभ्यो दीयमानं तंबोलं यत्र तत् / 1. निकुरम्बः-समूहः / For Private and Personal Use Only