________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | सागरसिट्ठी य हरिसिया दोवि / पिसुणंति तुज्झ एसा दिन्ना धणदेव ! सिरिकता // 193 // तत्तो सोहणलग्गे परिणीया उच्छवेण * महया उ / तीए सो अणुरत्तो विसयसुहं भुंजए तत्थ // 194 // जा तत्थ कइवि मासे चिट्ठइ सो तीए जोव्वणासत्तो / ताव य सव्वं | | भंडं विकीयं तस्स पुरिसेहिं // 195 / / पडिभंडं पिहु गहियं संबूढा* सयलसत्थिया ताहे / धणदेवो आपुच्छइ गमणत्थं ससुरवग्गं तं | // 196 / / अह भूरिदविणजुत्ता दासीदासाइपरियणसमग्गा / सिरिकंता नियपिउणा पट्ठविया भत्तुणा समयं // 197 / / पुवुद्दिढकमेणं | धणदेवो गरुयसत्थपरियरिओ। चलिओ नियनयरम्मि कुसग्गनयराउ सुहदिवसे // 198 / / अह कमसो संपत्तो सीहगुहासन्नभूपए| सम्मि / आवासियम्मि सत्थे धणदेवो चिंतए एवं // 199 / / तइया पल्लीवइणा भणिओ उ अहं अवस्समेंतेणं / आगंतव्वं तुमए मह | धिइहेउंति ता इहि // 200 // आसन्ना सा बट्टइ पल्ली ता सिग्यमेव गच्छामि / दळूण सुप्पइट्ठ पुणरवि इहमागमिस्सामि // 201 // इय चितिऊण कइवयपुरिसजुओ वेसरीए आरूढो। संपत्तो अह पेच्छइ सीहगुहं सवओ देई॥२०२।। T अवियः। जालालुंखियनिवडियगोमहिसकॅरंककलियपेरंत / परंतसत्थविणिहयहयरुहिरपवाहदुग्गंधं // 203 // दुग्गंधधरणिनि वडियभडमंसवसापसत्तबहुसुणहं / सुणहभयमुक्कमाणुसकरंकसिवमुक्कफेक्कारं // 204 // फेक्कारसवणसंतट्ठभीरुउड्डीणगिद्धसिसुनिवहं / सिसुनिवहहत्थसंदड्डभिल्लजुबईहिं दुप्पिच्छे // 205 // दुप्पिच्छजलणजालापलुट्ठभिल्लोहभवणबीभच्छं / बीभच्छजलणकवलियमयमा*णुससयसैमाइन्न / / 206 // तं दटुं धणदेवो एवं बजरइ हा ! किमेयंति / अइविसमावि हु पल्ली केण इमा हंदि ! दड्डत्ति ? // 207 // 1 कथयन्ति-पभणति / 2 विक्रीतम् / 3 पृथु / 4 एतेण आयता=आगच्छतेत्यर्थः / 5 दग्धाम् / 6 आलंखियं=दग्धम् / 7 करकोऽस्थिराशिः / 8 पेरंतो= KI पर्यन्तः / 9 सुणहो शुनकः श्वा। 10 संतवो संत्रस्तः / 11 दुष्प्रेक्ष्यं / 12 पल लुष्टं दग्धम् / 13 समाकीर्णम् / * सज्जिताः। For Private and Personal Use Only