________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी चरि। नवमो परिच्छेओ // 76 // विणिएण सो मणी पवरो / अह भणइ सुप्पइट्ठो पुणरवि धणदेवमासज // 149 // गंतूण कुसग्गपुरे नियत्तमाणेण नियपुराभिमुह / / | आगंतवं इहई अम्हाण अणुग्गहट्ठाए // 150 // भणिय धणदेवेणं होउ अविग्घेण ताव समओ सो / ज एसो चिय मग्गो नियत्तमा णाणमम्हाण // 151 / / एवं कयसंभासो रयणि गमिऊण तस्स गेहम्मि / पत्ते पभायसमए संबूढे सयलसस्थम्मि // 152 // तब्वेल| समुचिय सो कायव्वं काउं निग्गओ तत्तो / नियपरियणसहिएणं पल्लीवइणाऽणुगम्मतो // 153 / / युग्मम् // कहकहवि नियत्तेर्ड ससोयवयणं तु पल्लीनाहं तं / सत्येण समं चलिओ धणदेवो वेसरारूढो // 154|| कालेण य संपत्तो कुसग्गनयरम्मि वणियसंजुत्तो। घेत्तुं महग्धमुल्लं दैरिसणयं नरवइसमीवे // 155 // संपत्तो नरवाहणरना बहु मनिओ तओ तेण / सुकर्वेइ सयलभंड पंचउलं | सक्खिणं काउं // 156 / / युग्मम् / / सागरसेविस्स तओ भवणेसु भाडएण गहिएसु / उत्तारियं तु भंडं सबंपि निउत्तपुरिसेहिं // | // 157 // उत्तरइ य पइदियहं भंडं तह घेप्पए य पडिभडं / एवं च कइवि मासा वोलीणा तत्थ नयरम्म // 15 // सागरसेविसुएणं सिरिदत्तेण समं तु एयस्स / संजाया गुरुपीई संववहारं करेंतस्स // 159 // अह अन्नया य नीओ निययगिहे | | भोयणस्स कजेण / महया उवरोहेण सिरिदत्तेणं तु धणदेवो // 160 // तत्थ य गएण दिट्ठा सिरिकता पवररूवसंपन्ना। भगिणी सिरिदत्तस्स उ कन्ना नवजोव्वणारंभा // 161 // सा तोलियंटहत्था वीएंती भोयणं करेंतेण / संचविया पञ्चंगं अन्भुववन्नो तओ एसो // 162 // तीएवि ससिणेहं अवंगदिट्ठीए पुलइओ एसो। अह चिंतइ धणदेवो तीए रूवेण अक्खित्तो॥१६३॥ जइ ताव इमा कन्ना, 1 गन्तुं प्रगुणीभूते / 2 प्राभृतम् / 3 मानितः / 4 शुल्कं गृह्णाति शुल्कयति / 5 तालियट तालपन्तम्-व्यजनमिति यावत् / 6 दृष्टा / // 76 // For Private and Personal Use Only