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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अहियाओ अन्नखयरेहिं // 134 // परविजाणं छेयं मंताण ओसहीण अहलत्तं / काहिसि इच्छाए तुम खयराणं वयणमत्तेणं // 135 // | अइदप्पियावि खयरा आणानिद्देसकारिणो सब्वे / होहिंति विणयपणया मज्झ पभावाओ तुह भद्द! // 136 / / ता इण्हि गंतूणं वेयड्डे | सिद्धकूडसिहरम्मि / सासयजिणपडिमाण महिमं अट्ठाहिअं काउं // 137 / / अब्भत्थिय धरणिंद सव्वाओ तुज्झ खयरविजाओ। दाऊण | जहाविहिणा गच्छिस्सं ताहि सट्टाणं // 138 / / युग्मम् / एवं सुरेण भणिओ पयजुयलं पणमिऊण से खयरो / सुरवर! महापसाओ | एवं होउत्ति वजरइ // 139 // बहुमाणजुयं तत्तो आभासित्ता ममं तु सो खयरो। धणदेव ! मह समप्पिय मणिमेयं गुरुपमोएण | // 140 // देवेण तेण सहिओ सह महिलाए नहम्मि उप्पइओ। अयंपि तओ तत्तो समागओ निययठाणम्मि // 14 // युग्मम् / | ता भो धणदेव! मए एएण कमेण पाविओ एस / बहुपुन्नपावणिजो मणी मणाणदसंजणणो // 142 / / दियलोयसमुप्पन्नो पवरो | एसो मणी महभाग! / निस्सेसदोससमणो विसेसओ विससमूहस्स // 143 // ता धणदेव ! महायस! गेहँसु एयं तुम मणि दिव्वं / सयलगुणेगनिहाणं मह अणुरोहेण, किं बहुणा / // 144 // एयं निसम्म वयणं कुसलो भेणिईसु भणइ धणदेवो / भो रायसुय ! जमेयं | तुमए सह दसणं मज्झ // 145 / / जंच इमं अञ्चतं वयणं सम्भावगम्भिणं भद्द ! / तं चेव मज्झ मणिसयसहस्सलक्खाण अब्भहिय | // 146 / / अह भणइ सुप्पइट्ठो निसम्म धणदेवभासियं वयणं / अस्थि य एवं धणदेव ! किंतु अहयंपि एयम्मि // 147 // गहिए दिव्वमणिम्मी तुमए मन्ने कयत्थमप्पाणं / ता भो मह घिईहेउं किजउ मणिगहणमवियप्पं // 148 / / युग्मम् / नाउं अइनिब्बंध गहिओ अधिकाः / 2 अन्यखचरेम्यः सकाशात् / 3 अफलत्वम / 4 स्वस्थानम् / 5 तस्य सुरस्य / / ततः तदनन्तरम् / 7 ततः तत्स्थानात् / / गिण्ह / 9 भणितिपु-वचनेषु / 10 घिई-धृतिः / For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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