________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरीचरि। सत्तमो परिच्छेओ। // 57|| | आभरणं / तं चिय पलोइऊणं जेण मणं निव्वुई कुणइ // 98 // मणवल्लहेण एएण विरहिया नियगिहम्मि संपत्ता। तं चेव ऍलइऊणं संधीरिस्सामि नियहिययं // 19 // अन्नं च / किल एस इत्थिरूवो पाणिग्गहणम्मि कणगमालाए। एही, तत्थ य होही पुणोवि किल देसणं इमिणा // 10 // * इय तइया केवलिणा आइह मज्झ तेण एयस्स / तं चेव य आभरणं साभिन्नाणं तहिं होही // 1.1 // एवं विचिंतिऊणं मुद्दारयणं तु | तुम्ह हत्थाओ / गहियं वल्लह ! तइया नियया य समप्पिया मुद्दा // 102 // पियकरफासपवित्त परिहित्ता तंपि गुरुपमोएण। चलिया | वलंतगीवा सपरियणा नयरसमुहिया // 10 // अह धारिणिनामाए कन्ने होऊण मज्झ उल्लवियं / एयं केवलिवयणं निवैडियं ताव इकं तु // 104 // ता एस देवजीवो पुच्विं जो आसि तुज्झ वल्लहओ। एवं तीए भणिए सरोसमेवं मए भणियं // 105 // हुं हुं दिट्ठा सि * तुमं धारिणि ! अवसरसु दिद्विमग्गाओ। एवंविहमणिबद्धं जा पसि अम्ह पुरउत्ति // 106 // इम्हि न वल्लहो किं पुवं जं आसि मज्झ बल्लहओ। ईसि हसिऊण तओ कयंजली धारिणी भणइ // 107 // पियसहि ! खम अवराहं सव्वमसचं इमं मए भणियं / |जह पुवं तह अहुणावि वल्लहो चेव तुह एसो॥१०८॥ किं पुण भणामि सच्चं जइ दइओ कीस उज्झिउं चलिया। ता मा पिय सहि ! रूससु घडइ चिय मह इमं वयणं / / 109 / / एमाइ बहुविगप्पं सहासवयणाइ तीइ संजुत्ता। पत्ता गिहम्मि कमसो अस्थ| मिओ ताव सरोवि // 110 // अह तीए धारिणीए जाइसरणाइसयलवुत्तो। कहिओ मह माऊए तं सोऊं हरिसिया एसा // 111 // 1 प्रलोक्य / 2 निर्वृत्तिः। 3 दृष्ट्वा / 4 स्वाभिज्ञानम् उपलक्षक चिहम् / 5 फासो स्पर्शः। / परिधाम / 7 निर्वृत्तम्-सिद्धम् / 8 अपसर-दूरीभव / अनिबद्ध असंबद्धम्। 10 अस्तम् इतोगतः। 57 // For Private and Personal Use Only