________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हवर्ण कीरंतं भत्तिजुत्तखयरेहिं / वित्तप्पाये न्हवणे नियपरियणसंजुया अहयं // 84 // आरूढा रहपवरे वलिया नयरस्स अभिमुहा जाव / उम्मिट्ठो नयराओ नीहरिओ करिवरो ताव // 85 // तं दटुं समुहर्मितं तुरया मह रहवरस्स उत्तट्ठा / उम्मग्गेण पयट्टा भग्गो | सो संदणो ताहे // 86 // भृमीए अहं पडिया मुच्छाए विगयचेयणा जाया / तेण परं जं जायं पिययम! तमहं न जाणामि // 87 // | नवरं दिट्ठो सि तुमं वीयंतो निययउत्तरीएण / दवण तुम जाओ गरुओ हिययम्मि आणंदो // 48 // तत्तो मज्झ विगप्पो पिययम! एसो मणम्मि संजाओ। एयं तं संजाय केवलिणा जं तैयाइ8 // 89 // पुत्वभवसंगओ सो ता नूण एस वल्हो मज्झ / रमइ य इमम्मि | दिट्ठी मणं च आणंदमुबहइ // 10 // अमएणव संसित्तं दिट्ठम्मि इमम्मि मह सरीरंपि। वियसियनयणो एसोवि दीसए साणुरागोव्व | // 11 // तामह पाणपिओ सो अवस्समेसोत्ति जाव चिंतेमि / ताव य परियणसहिया समागया तत्थ मह धाई // 12 // अभिनंदि| ऊण तीए आपुट्ठो ताहिं पिययम! तुमंति / वच्चामो नियनयरे उस्सूरं वट्टए जेण // 93 / / एवं भणिउं चलिया तत्तो य मए विचिं|तियं एयं / पुनेहिं पिओ दिह्रो इहि न चएमि छड्डेउं // 14 // एयस्स वयणपंकयपलोयण मोत्तु मह इमा दिट्ठी। पंकनियुडा दुबलगाईव्व न सकए गंतुं // 15 // अविय / एवंविहे मुहुत्ते नयणजुयं मिलइ कस्सवि जणस्स / हत्थिव्य पंकखुत्तो ढुक्खुत्तारं दढं होई // 16 // एसा वि मज्झ | | धाई चलिया एवं पमोत्तु मणदइयं / लजाए बजरिउं अहंपि सकेमि नो किंपि // 97 // ता मज्झ इमं जुत्तं गिण्हामि इमस्स किंचि उत्त्रस्ता भयभीताः / 2 व्यजनं कुर्वन् / 3 तदा आदिष्टम् / 4 छकेउं मोक्तुम् / 5 निबुडा अग्ना। 6 गाई-गौः। / खुत्तो-निमग्नः। 8 दुःखेन se उत्तरण उत्तारो यस्य तत् 'मिलितं नयनयुग' इति विशेष्यम् / For Private and Personal Use Only