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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी चरि। सत्तमो परिच्छेओ। // 54 // | पियाए वज्जरइ / किं न याणसि सुंदरि ! जेण ममं पुच्छसि इमं तु ? // 7 // देवस्स चवणसमए इमाणि जायति सुयणु ! लिंगाणि! |ता मज्झवि चुइसमओ आसनो वह इयाणि / / 8 / / एवं निसम्म वयणं देवी अइवल्लहस्स देवस्स / उप्पन्नगरुयसोया दुक्खं नरओ-| | वर्म पत्ता / / 9 / / अह अनया कयाइवि सो देवो तीइ पिच्छमाणीए / खरतरपवणसमुद्धयदीवोच्च अदंसणीभूओ॥१०॥ दट्टण चुयं देवं देवी चंदप्पहा सुदुक्खत्ता / मुच्छाविरमे करुणं विलविउमेवं समारद्धा // 11 // हा! नाह ! पाणवल्लह ! मोत्तूण ममं गओ कहिं देव! तुमए रहिया सामिय! के सरणमहं पवज्जामि ? // 12 // खणलवमेतपि तुमं विणा मए नेव नाह ! अच्छंतो / मोत्तूण ममं | इण्हि कत्थ गओ लोयणाणंद ! // 13 // तं चेव मज्ज्ञ सरण तं नाहो जीवियं तुम देव ! / तुमए मुक्का सामिय! भण इहि कत्व | बच्चामि // 14 // हा ! कत्थ गओ वल्लह ! एत्थ अणाहं ममं पमोत्तूणं / को मह सरणं इहि सामिय! तुमए पमुक्काए / // 15 // | सो चेव देवलोगो देवसहस्सोवसोहिओ रम्मो। तुह विरहियाए इण्हि भावइ नरओवमो मज्झ // 16 // तं चिय इमं विमाणं रम्म | मणिकणगरयणविच्छुरियं / तुमए मुकं भौवा घेडियालयसँच्छहं नाह ! // 17 // किंकरवग्गोपि इमो चाडुकरो विणयकरणतल्लिच्छो। | परमाहम्मियसरिसो भासइ तुह नाह ! विरहम्मि // 18 // पुंनागनागचंपयनमेरुमंदाररेहिरं रम्मं / उज्जाणं तुह विरहे असिपत्तवर्णव पडिहाइ // 19 // वरमज्जणवावीओ निम्मलजलपूरियाओ रम्माओ। भासंति तुज्झ विरहे वेयरणिनईए तुल्लाओ॥२०॥ धनाओ | नारीओ जाओ मयं अणुसरंति भत्तारं / एयम्मि देवभावे कत्तो एयारिसं मज्झ१ // 21 // एमाइ पलवमाणा सा देवी हणइ नियय // 54 // 1 च्युतिः-मरणम् / 2 नरकोपमम् / 3 भासते / 4 विच्छुरितंत्र्याप्तम् / 5 घटिकालय-घटिकावादनगृहम् / सच्छह-सदृशम् / 7 मृतम् / For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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