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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निययदेहं तु // 246 / / अणुरायवसा तं चिय झायंती सुरवरं निए हियए / कयअणसणा वसुमई कालं काऊण उववना // 247 // | ईसाणनामम्मि बिइजकप्पे चंदज्जुणे दिव्वविमाणयम्मि / देवस्स चंदज्जुणनामगस्स चंदप्पहा नाम पहाणदेवी / / 248 // साहुध णेसरविरइयसुबोहगाहासमूहरम्माए / रागम्गिदोसविसहरपसमणजलमंतभूयाए // 249 // एसोवि परिसमप्पइ वसुमइसुरलोयपावणो | नाम / सुरसुंदरिनामाए कहाए छट्ठो परिच्छेओ॥२५०॥१५००॥ // छट्ठो परिच्छेओ समत्तो॥ सत्समो परिच्छेओ। अह पुब्वसंगएणं समयं चंदज्जुणेण देवेण / गाढाणुरायरत्ता झुंजइ दियलोगसोक्खाई // 1 // चंदप्पहदेवीए सुरलोए सुरवरेण तेण समं / बोलीणो बहुकालो दिव्वसुहं अणुहवंतीए // 2 // अह अन्नया कयाइवि विच्छायं पिच्छिऊण नियदइयं / भयभीया सा देवी तं देवं एवमुल्लवइ / / 3 / / सामिय! कीस ससको अरइपरद्धोव्व दीससि तुमंति। तह कंत! रुइविवजियदेहो दीणोव किं इहि // 4 // |सुक्का कीस अकम्हा कुसुमसमूहो सिरम्मि संमिओ। बसणाणि तुज्झ सामिय! सामलवन्नाणि किं अहुणा // 5 // थरहरइ कीस दिट्ठी कामम्मि य सिढिलआयरो इहि / मोडसि य कीस अंग पुणो पुणो, देव! वज्जरसु // 6 // अह चंदज्जुणदेवो एवं पुट्ठो परद्धो पीडितः / 2 संयमितः निबद्धः / 3 वसनानिवस्त्राणि / 4 थरहरइ-कम्पते / 5 मोटसि, मोटयसि वा "मरडेछे" इति भाषायाम् / For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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