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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरीचरिअं। // 53 // ता पाव ! इण्हि पावसु अणजकञ्जम्मि निरय ! निल्लज / नियदुच्चेट्ठियसरिसं इहपरलोए फलं कडुयं // 232 // एयं न होइ जोग्ग सत्तमो नामं एयस्स दुढचरियस्स!। पावो अमंगलो एस जेण एवं कयं पावं // 233 / / कन्नकडुएहिं एवं असम्भवयणेहिं तेण लोएणं। परिच्छेओ। | अकोसिओ स बहुहा सुदीणवयणो तहिं वरओ // 234 // तेणेव देवेण तहिं मायावित्ताई रोवमाणाई / अणुसासियाई सम्मं तुहिकाई | तु जायाई // 235 // तत्तो सुरेण भणिया मुंचती थूलअंसुयपवाह / भद्दे ! वसुमइ ! इण्हि को तुह हिययस्स उच्छाहो // 236 // अह तीए वञ्जरियं लज्जाए समोणमंतवयणाए। जं किंचि तुमं सामिय ! आइससि तहिं समुच्छाहो // 237 // भणिय सुरेण सुंदरि। जइ एवं ता करेसु पध्वजं / जिणवरभणियं धम्म कम्ममहाकंदकोदालं // 238 // जइबि हु सुंदरि! तुमए अयाणमाणाए एयमायरियं / * | तहवि हु इमस्स पावस्स ओसहं होउ पन्वज्जा // 239 // तत्तो य वसुमईए तहत्ति बहु मन्नियं तयं वयणं / महईए विभूईए निय| बंधवअणुमया ताहे // 240 // तत्थेव य नयरीए सुहम्मनामस्स पवरमरिस्स / मयहरियाए बहुविहसाहुणिगणसेवियकमाए // 241 // चंदजसानामाए समप्पिया सुरवरेण सयमेव / तीएवि य आगमविहिणा दिना दिक्खा वसुमईए // 242 / / तिसृभिः कुलकम् / सोवि सुमंगलखयरो गुरुरोसेणावि तेण देवेण / दवण दीणवयणो न मारिओ कहवि हु दयाए // 243 // नेऊण माणुसुत्तरगिरिस्स परओ स उज्झिओ वरओ। अह सो तियसो पत्तो निययविमाणम्मि वेगेण // 244 // सावि हु वसुमइअज्जा समिईगुत्तीसु सम्ममुवउत्ता। सज्झायज्झाणजुत्ता उज्जुत्ता विणयकरणम्मि / / 245 // पुव्वसयसहस्साई बहूणि काऊण पवरसामनं / संलेहणाए सम्म झोसित्ता 1 अणज्ज-अनार्यम् / 2 माता-पितरौ। 3 उत्साहः / 4 आदिशसि-आशां करोषि / 5 अजानत्या / 6 आर्या-साची / 7 सज्झाओ=स्वाध्यायः / 8 झोसित्ता-झूषित्वा-क्षीणं कृत्वा / 153 // For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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