________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir हत्थेहिं / अंगाई सुदुक्खत्ता कंदंती करुणसदेण // 22 // मुच्छिाइ पुणरुत्तं नीसाहारा य पडइ भूमीए / संपत्तचेयणा सा पुणरवि एवं | समलवइ / / 23 / / हा! नाह ! किं न पेच्छसि विलवंतिं जं न देसि उल्लावं / किं वा रुट्ठो वल्लह ! किं अवरद्धं मए तुम ? // 24 // पणयकुवियाए सामिय ! चाइसहस्साणि मज्झ कुव्वतो / इहि कीस अकंडे विलवंति मुंचसि ममं तु ? // 25 // हा? नाह! किं न याणसि अइगुरुअणुरायमोहिया एसा / मह विरहे कह होही जेण अकंडे तुमे मुक्का ? // 26 // एवं बहुप्पगारं पिययमविरहम्मि कंदमाणा सा / जाया उम्मृलियकमलिणिव्व विच्छायमुहकमला // 27 // दहण गरुयसोय गुरुदुक्खसमोहयं तयं देविं / तीए निद्धवयंसा सयंपभा एवमुल्लवइ // 28 // जाणियजिणवयणावि हु संसारसरूवयं सुणेऊण / इयरमहिलव्व पियसहि ! विलबसि किं एरिसं बहुहा ? // 29 // पियसहि !न हु साहारो बहुणावि हु विलविएण जं अस्थि / ता किं छोलियगलथणसमेण विहलेण रुनेण 1 // 30 // जइ विलवसि सयहुतं पिट्टसि देहं करेसि गुरुसोयं / तहवि हुन एइ दहओ कालकयंतेण जो नीओ / / 31 // तो एयं नाऊणं नेहं सिढिलेसु मुंच गुरुसोगं / उज्जम जिणिंदधम्मे एवंविहदुक्खसमणम्मि // 32 // सोतवसंजम| रूवो देवभवे नत्थि वट्टमाणाए / सम्मत्तसुद्धिहेउ सुंदरि ! ता उजमं कूणसु // 33 // गंतूण विदेहेसु वंदसु तिलोकबंधवजिणिंदे / केव|लिणो तह साहू संजमकरणुजए धीरे // 34 // सासयजिणभवणट्ठियजिर्णिदविवाणि परमभत्तीए / कुलसेलदीवपव्वयठियाणि गंतूण | पणमेसु // 35 // एवं विसुद्धसम्मत्तसंजुया पाविऊण मणुयत् / लहुँ जिणवरदिक्खं हयकम्मा वयसि सिद्धीए // 36 // एवंविहदुक्खाई प्रणयकुपिताया मम / 2 पब्वाय / 3 समोहयन्समवहताम् / 4 स्निग्धवयस्था-प्रियसखी / 5 छालिका छागिका अना। ताडयसि / 7 शिथिlalell लय-शिथिलं कुरु / 8 साजिनेन्द्रधर्मः / 9 जसिगच्छसि / * निराधारा। For Private and Personal Use Only