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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | णिरयणहेममइयम्मि / पल्लंके पासुत्ता पवराए हंसतूलीए // 128 // अह अड्डरत्तसमए दुंदुहिसदं सुणित्तु पडिबुद्धा / पिच्छामि गय-* | णमग्गं दिवविमाणेहिं संकिन // 129 // दहण देवनिवहं उञ्जोइयगयणमंडलं तत्थ / सुरसुंदरिगणसहियं चिंता मे एरिसा जाया | // 130 // कत्थेरिसाई मन्ने दिवविमाणाई दिट्ठपुव्वाई। एवंविहा य देवा देवीओ कत्थ दिट्ठाओ // 131 // एवं विचिंतयंती पिय| सहि ! मुच्छावसं अहं पत्ता / मुच्छाविरमे तत्तो जाईसरणं समुप्पन्न // 132 // संभरिया पुवभवा दोनि मए मणुयदेवसंबद्धा / जह तं* | निसुणसु धारिणि ! सबंपि हु वैजरिजंतं // 133 / / जंबुद्दीवे दीवे सुरगिरिणो उत्तरम्मि पासम्मि / एरवयं वरखित्तं इहत्यि तेलोक्कविक्खायं // 134 // तम्मि य मज्झिमखंडे आरियखित्तम्मि आसि वरनयरं / अमरपुरसरिसरूवं पडिवक्खनरिंददुग्गम्मं // 135 // तिहुअणलच्छीनिलयं इभसहस्सोवसेवियं विउलं। | आकालसुप्पइट्ट नामेणवि सुप्पइट्ठति // 136 // युग्मम् / / उवहसियधणयविहवो उवयाररओ य सयललोयस्स / देवगुरुपूयणरओ वैच्छल्लयरो य बंधूणं // 137 // दक्खिन्नदयाकलिओ अंग्गाणी सयलवणियसत्थस्स / हरिदत्तो नामेणं इभो परिवसइ अह तत्थ // 138 // युग्मम् // निजियरइसोहेग्गा सीलवई महुरभासिणी दक्खा / पाणपिया विणयवई विणयवई भारिया तस्स // 139 // पंचपयारे विसए तीए समं तस्स अणुहवंतस्स / जाओ पहाणपुत्तो वसुदत्तो नाम सुपसिद्धो॥१४०॥ तत्तो विणयवईए कमेण धृयाओ तिनि जायाओ। निजियसुरिंदसुंदरिरूवाइसएण कलियाओ॥१४१॥ जेट्ठा सुलोयणत्ति य बीया कमा अणंगवईनामा / वसुवइनामा तइया तिलोय अर्धरात्रसमये। 2 जातिस्मरण-पूर्वभवज्ञानम् / 3 संस्मृताः / 4 कथ्यमानम् / 5 त्रैलोक्यविख्यातम् / 6 इभ्यः श्रेष्ठी। 7 वात्सल्यकरः। 8 अग्रणी: 9 सोहग्गं सौभाग्यम् / 10 दक्षा-चतुरा / For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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