SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 106
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatrth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुरसुंदरी चरिअं। // 49 // हीसहिया रमामि विविहासु तत्थ कीलासु / वरचित्तपचाठिंजयनच्चणगंधव्ववीणासु // 114 // तत्थ य पिययम ! अहयं सहावओ | पुरिसवेसिणी जाया। वरया य मज्झ बहवे इंति तहिं खयरपवराण // 115 // वररूवकलारिद्धीओ तेसिं, जणओवि मज्झ साहेइ / / सय मादे परिच्छेओ। | न य कत्थवि मह ईच्छा जायइ तो ते निवारेइ // 116 // जो जो आवइ वरओ तं तं नेच्छामि जावय अहं तु / ताहे य असणिवेगो मज्झ पिया सोयमावनो // 117 // दवण तं ससोगं चंपगमाला उ भणइ नियदइयं / कीसें ससोगो सामिय ! दीससि चिंताउरो धणियं // 118 // तत्तो य तेण भणियं मह धूया ताव जोव्वर्ण पत्ता / न य इच्छइ किंपि वरं सुंदरि! गरुई इमा चिंता // 119 // | धूया जोव्वणपत्ता वररहिया कुलहरम्मि वसमाणा / तं किंपि कुणइ कर्ज लहइ कुलं मेइलणं जेण // 120 // को होज वरो धूयाए हंदि / मणइच्छिउत्ति चिंताए / सुंदरि! न एइ निद्दा रयणीएवि मह पसुत्तस्स // 12 // एवं निसम्म वयणं चंपगमालावि ताहि मे जणणी / मज्झ निमित्ते सुंदर ! जाया सोगाउरा धणियं // 122 // अन्नदिणम्मि पियसही पभायसमयम्मि धारिणीनामा / सुआपहस्स। | धूया समागया मज्झ पासम्मि // 123 / / भणइ य किमज पियसहि ! हिंयव्व विकियव्व वुनव्व / दीससि अन्नमणा विव विदाण महा ससोगिल्ला // 124 // चिरआगयावि पियसहि ! कीस न संभासिया अहं तुमए 1 / ता भणसु सोगकारणमेयं जं तुज्झ संजाय ? | // 125 // एवं च पियसहीए भणियाए मए तया समुल्लवियं / सम्ममुवलक्खियं ते धारिणि ! निसुणेसु बुत्तत्तं // 126 // तुज्झेहि * समं पियसहि ! कीलित्ता ता वियालसमयम्मि / नाणाविहकीलाहिं समागया निययगेहम्मि // 127 // उवरिमभूमीइ तओ नाणाम // 49 // 1 छिज्जय-छेयकम् / 2 वेसिणी-वेषिणी। 3 आयाति / 4 कीस-कस्मात् / 5 मलिनताम् / 6 तेव / 7 विकृतेव / बुन्नाभीता उद्विग्ना च / विकालसमये सायम् / Fer Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy