________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * नियठाणं / एवं सदं सोउं एस विगप्पो महुप्पो // 67 // नूणं चित्तगइस्स य एसो सहो न होइ अनस्स / एयम्मि वनिगुंजे अहवा को संभवो तस्स // 68 // एवं विचिंतियम्मी कयलीगेहाओ ताओ गुविलाओ। तरुणमहिलासमेओ चित्तगई झत्ति नीहरिओ // 69 // ततो गंतूण मए सहरिसमालिंगिओ स नेहेणं / अहमवि तेणं, तत्तो उवविट्ठा दोवि तत्थेव // 70 // तचो य मए भणिओ नीहरिएणं तु मयणगेहाओ। किं मित्त ! तुमे विहिय विमोहिओ परियणो कहवा // 7 // कहव तुमं निच्छुट्टो का वा एसा मणोहरागारा / महिला, कत्व व पत्ता, साहसु मह सव्वमेयंति // 72 // चित्तगई मणइ तओ निमुणसु भो चित्तवेग! एगमणो / काऊण कणगमालारूवमहं ताव नीहरिओ // 73 // आरूढो सिबियाए पत्तो य कमेण वरसमीवम्मि / विजाहरिंगणगिजतविविहवरमंगलुप्पीलो ||74aa लग्गे समागयम्मी गहिओ मह करयलो सहरिसेण / नहवाहणेण, तत्तो कमेण वत्तो य वीवाहो // 75 // नहवाहणस्स पुरओ नव विविहंगहारसोहिल्लं / पारद्धं वारविलासिणीहिं वरगेयसंवलिय // 76 / / एत्थंतरम्मि एगा जुवई आगम्म करयलं निययं / मुद्दा| रयणसमेयं दंसह मह सज्झसुप्फुण्णा // 77 // तं दट्टुं चिंतियं मे एसा सा मज्झ संतिया मुद्दा / हथिभयमोइयाए जा गहिया तीए| कन्नाए // 78|| अइगुरुयं अंगुट्टि मणय ओसारिउ मए तत्तो / अवलोइया य एसा सहसा अह पञ्चभिनाया // 79 // एसा सा मह दइया हत्थिभए जा विमोइया तइया / विहिणो निओगओ कह जाया हग्गावणापच्छं / / 80 // पेच्छ अइदुग्घडंपिहु सहसा कह मज्झदसणं जायं। अणुकूलो अहव विही किंवा तंज नवि करेइ // 8 // एवं विचिंतिऊण निदंसिओ नियकरो मए तीए / पुच्वं समप्पियाए* 1 गुपिलं गहनम् / 2 परिजनः स्वजनः / 3 निर्मुक्तः / 4 उप्पीलो समूहः / 5 नाटयम् / / उप्फुण्णा-पूर्णा / * अगुलीयकम् / 8 अपचार्य / 9 अवलोकिता। For Private and Personal Use Only