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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छद्रो परिच्छेओ। सुरसुंदरी- किं सोयमसरिसं वहसि / लद्धं जं लहिअव्वं इण्हि जं होउ तं होउ // 53 // तुह संगमरहियाणं मरणं जइ होज, होज ता दुक्खं / चरिजा इहि पुणम्ह सुंदरि! मरणेवि हु नत्थि दुक्खंति // 54 // किञ्च / एसो अचिंतिओवि हु जह जाओ संगमो सह तुमाए / तह चेव मा कयावि हु अमंपि हु सोहणं होजा // 55 // कीरउ // 47 // * ताव उवाओ अहलो जइ होइ होउ, को दोसो।। मंचयवडियाण पुणो तहट्ठिया चेव भूमित्ति // 56 // नहवाहणखयरं तं दद टूण | मए इमं कयं सुयणु!। भवियव्वयाए दिटुं होजा जं किंचिमह उचियं // 57 // अभुवगयं हि मरण नासिजउ तहवि ताओ खय राओ। जैलचव्वणुञ्जयाणं मा कहवि हुएइ गुलओवि // 58 // ता सुयणु ! मुंच सोयं वच्चामो रयणसंचए ताव / कालोचियं च पच्छा | दिलै दिद्वं करिस्सामो // 59 // तत्तो य तीए समयं नीहरिओ पणमिऊण रइनाहं / अह तीए कंठलग्गो उप्पइओ गयणमग्गम्मि // | रागंधयारमोहियनराण दटुंव तारिस चरियं / दूरं नासियतिमिरो अह सहसा उग्गओ सूरो // 61 // तत्तो य तीए भणियं सामिय! गाढं पिवासिया अहयं / प्रसइ गलयं अजवि केद्रे अम्ह तं नयरं ? // 6 // दूरे अजवि नयरं सुंदरि ! इत्थ वणनिगुंजम्मि / ओयरिमो जे होही इत्थ जलं एँव मे भणिए // 33 // ततो दोवि जणाई अवइनाई वणम्मि रम्मम्मि / सीयलजलपडिपुग्नं अह दिवं तत्थ निज्झरणं // 64 // पाऊण जलं अह सा पत्तलतरुछाहियाए उवविट्ठा / काउं सरीरचितं अहमवि तत्थेव आयाओ॥६५॥ भो सुप्पPoइट्ठ! एवं खणंतरं वीसमामि जा तत्थ / ताव य निसुओ सद्दो आसन्ने केलिगेहम्मि // 66 // जाया सत्यसरीरा सुंदरि ! वच्चामु इण्डिं / त्वया / 2 अभ्युपगतम् अङ्गीकृतम् / 3 जलचर्वणोद्यतानाम् / 4 गुडकः / 5 पिपासिता-तृषिता / 6 कियदूरम् / . एवमे एवं मया / Jakl8 भवतीणों / 9 श्रतः / // 47 // For Private and Personal Use Only
SR No.020776
Book TitleSursundari Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhaneshwarmuni
Publisher
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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