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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org मुद्देसो। सुदंसणा- आसणं कुणइ सिवसुक्खं ॥१२॥ इय सोउं गिहिधम्मं, पडिवजइ चंदगुत्तनरनाहो । तह विसयसुक्खविमुहा, सुदरि-16 सिरिचंदचरियम्मि 3 सणा सीलवइसहिया ॥१२२॥ देसविरईअसत्ता सत्ता गिण्हंति के वि सम्मत्तं । महुमजमंसविरईपमुहे य अभिग्गहे के वि लेहदेवीप ॥१२॥ इय पडिबोहिय भवे, चारणसमणो तओ समुप्पइओ । नंदीसरवरदीवं पइ चलिओ गयणमग्गेणं ॥१२४॥ इय /डिबोहअ॥२५॥ सुदरिसणकहाए बुहकइरवसरयससिकलनिहाए । छहुद्देसो निवचंदगुत्तपडिबोहओ भाय ! ॥१२५॥ [ इय छद्दुद्देसो] नामो सत्त अह सत्तमुद्देसो। अह सा पुणरवि नमिउं सुदरिसणा सविणयं भणइ जणयं । काउं महापसायं भरुयच्छे में विसजेह ॥१॥ जं तत्थ8 बताय! पायं मुणिणो गुणिणो सया वि सेविस्सं । तत्थ य मणिरयणमयं जिणभवणमवि कराविस्सं ॥२॥ सोऊण इमं रण्णा दाऊण पारितोसियं सुबहुं । धूयाइ कलायरिओ विसजिओ सो नियावासं ॥३॥ उल्लसियविवेएणं जिणवयणामयपवित्तचितेणं । संभासिऊण उचियं पुरोहिओ पेसिओ सगिह ॥४॥ तह सकारिय बहुयं सामंताईजणं पि पट्ठविउं । परिमियसहानिविट्ठो नरनाहो भणइ धर्णनाहं ॥५॥ एसा मह पियधूया सुदरिसणा जीवियस्स अन्भहिया। अप्पत्तविओयदुहा अदिदुपरमंडलाचारा॥६॥ अमुणियविएसभासा अदिट्ठवसणा अमुक्कसहिसयणा । अणेणुभूयवमाणा कयसम्माणा सया सुहिया ॥७॥ ता कह भरुयच्छे उसमदत्त! बाला गमिस्सए एसा । सुहलालिया य सययं सिरीसकुसुमं व सुकुमाला! ॥८॥ ॥२५॥ |ता तुज्झ मए सबायरेण एसा समप्पिया भद्द! । कुसलेण जहा वच्चइ तत्थ तुमं तह करिजासु ॥९॥ अह उसमदत्तवणिणा! १ ऋषभदत्तश्रेष्टिनम् । २ अणणुभूय० अननुभूत-अज्ञात इति । ACEBOOCALCAL For Private and Personal Use Only
SR No.020764
Book TitleSudansana Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUmangvijay Gani
PublisherPushpchandra Kshemchandra Shah
Publication Year1932
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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