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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कसरणं ॥११५॥ पंचासवपरिमुक्को, पंचिंदियविजयलद्धमाहप्पो। केवलिकहिओ रम्मो, तुह सरणं होउ जिणधम्मो ॥११६॥ हा एवं कयचउसरणा, भद्दे ! भवगयसमत्तभयरहिया। रागद्दोसविमुक्कं देवं सुमरेह अरिहंतं ॥११७॥ अरिहंतनमोकारं, इकं 3 चिय कुणह परमभत्तीए । इहलोए अत्तिहरं, सुहजणयं नूण परलोए ॥११८॥ किंच तइलोयसारं, एयं चिय सरह पंचन-6 वकारं । जम्मंतरे वि दुक्खाण भायणं जेण न हु होसि ॥११९॥ चउविहकसायचत्ता विसयविरत्ता ममत्तपरिचत्ता। संजमनि-11 होयमुजुत्ता तह चयसु चरबिहाहारं ॥१२०॥ सयलं पि दिणं सा तत्थ, सवलिया गलियसयलमोहमला । कण्णंजलीहिं धुंटइ, हाअमयं व तयं सुसाहुगिरं ॥१२१॥ मुणिवयणबद्धलक्खा, मणेण नयणेहिं तह य सवणेहिं । मरिऊण समुप्पन्ना, सा तुह धूआ अहं ताय! ॥१२२॥ सइसुमरियमित्तेण वि, जिणिंदवयणेण एरिसी रिद्धी । जइ पुण सया सरिजइ, तो हुँति अणंतसुक्खाई ॥१२३॥ सुणिऊण संपइ नमो अरिहंताणं ति सिट्टिमुहपढियं । जायं जाईसरणं ताय! मह विवेयतरुवीयं ॥१२४॥ इय सुद-15 रिसणाकहाए, बुहाण चिंतामणि व सुहयाए । जाईसरणनिबद्धो, समत्तओ तइयउद्देसो॥१२५॥ [इइ तइओ उद्देसो] अह चउत्थो उद्देसो। जह तत्थ तया तीए कहियं तह तं मए वि तुह इत्थ । इय किण्णरीइ भणियं भाउय ! सुण अग्गओ इण्हिं ॥१॥ तं 8 पुबजम्मसंभरणभावियं नियसुयं मुणेऊणं । चिंतइ राया नणु किं सच्चं बालाइ जं कहियं? ॥२॥ अहवा तं कत्थ पुरं?, ते कत्थ मुणी ? वडो वसो कत्थ? । कह सवलिया मरिउं, उप्पण्णा इत्थ मह धूआ? ॥३॥ इय चिंतिऊण राया, सप्पणयं सायरं १ सइ सकृत्-एकवार । For Private and Personal Use Only
SR No.020764
Book TitleSudansana Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUmangvijay Gani
PublisherPushpchandra Kshemchandra Shah
Publication Year1932
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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