SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 226
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirtm.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुदंसणा दबट्ठयाइ निच्चं सबमणिच्चं तु पजवट्ठाए । आविब्भावतिरोभावदवभावेण वर्दृतं ॥७८३॥ इगजीवस्स पएसा महंततणुणो य | हरयणत्तयचरियम्मि अप्पतणुणो य । अस्संखिज्जा लोगप्पएसतुल्ला मुणेयबा ॥७८४॥ संकोयविकोएहिं पईवकतिब मल्लगगिहेमु । हत्थिस्स कुंथुस्स स्स रूवप्प व पएससंखा समा चेव ॥७८५॥ असरीरिजीवदवाणि सखया हुंतिणतणताणि । तेसि पि अणंतगुणा ससरीरा इगनि-18! ख्वग नाम ॥१०३॥ गोए वि॥७८६॥ तह सपरपज्जएहिं सबे भावा अणंतधम्माणो । नेयत्तमुत्तऽमुत्तयवण्णाऽवण्णत्तमाईहिं ॥७८७॥ जीवाण दसमुद्देसो। दुक्खकरणं मारणवुद्धीइ जो पहारो य । सा हिंसा मरणं पुण जियगयपाणाण जो भेओ ॥७८८॥ एवं संखेवेणं जीवसरूवं मए समक्खायं । वित्थरओ उ ण तीरइ कहिउं बहुणा वि कालेण ॥७८९॥ इय सबहा अजुत्तं अकिरियवायं विमुत्तु नरणाह! । जुज्जइ तुह सक्किरियं काउं सुविवेयजुत्तस्स ॥७९०॥ इय केवलिणा कहियं हरियंदनिवो मुणिनु नियपिउणो। | दारुणदुग्गइगमणं नाहियवायस्स तह य फलं ॥७९॥ संसारविरत्तमणो गुरुपयकमलं पुणो वि पणमित्ता । निययगिहे | गंतूणं रजम्मि निवेसए पुत्तं ॥७९२॥ भणइ सुबुद्धिसमुहं संपइ संजममहं गहिस्सामि । तं पुण धम्मुवएसं दिज्जा पच्छा मह सुयस्स ॥७९३॥ भणइ इमो जइ सामिय! तुम्भेहि समं गहेमि नो दिक्खं । केवलिकहिओ धम्मो रम्मो न सुओ मए नाह! ॥७९४॥ ता तुन्भेहि समं चिय संजमरजं अहं पि गिहिस्सं । धम्मोवएसदाणं काहिइ पुण नंदणो मज्झ ॥७९५॥ |तो ते दुण्णि वि तुरियं पलित्तगेहं व मुत्तु गिवासं । केवलिपासे गंतु पवइया गरुयसंवेगा ॥७९६॥ गुरुपयसेवानिरया चिरकाकालं पालिऊण चारित्तं । निट्ठवियअट्ठकम्मा ठाणं अपुणागर्म पत्ता ॥७९७॥ अण्णं च तुम्ह वंसे जाओ दंडो निवो अइ पयंडो। तस्स य सुओ पयावी मणिमाली अंसुमालिव ॥७९८॥ पुत्तकलत्तधणाइसु मुच्छावंतो अईव दंडनिवो । कालेण RECRECRUS-MOREMOLICE-MANG ॥१०३॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020764
Book TitleSudansana Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUmangvijay Gani
PublisherPushpchandra Kshemchandra Shah
Publication Year1932
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy