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रुच्चा हिययस्स भत्तारो? ॥९९३॥ किं चाई ? किं सूरो? किं वा विउसो? कयण्णुओ? सुहओ? | गंधबकलाकुसलो? परो
वयारी? दयालू वा? ॥९९४॥ ईसि अहोमुहीए सलजमेईई जंपियं ताय !। जो तुह रोयइ तो भणइ भूवई न हु इमं भवं 15॥९९५॥ तो भणइ इमा एसो तुह मल्लो महियले अपरिभूओ। जिप्पिस्सइ जेण बली सो मह भत्ता किमवरेण ? ॥९९६॥
तो नायं नरवइणा एसा हु बलाणुराइणी बाला । ता भई परमिमिणा सत्वेऽवि पराजिया वलिणो ॥९९७॥ तो तं विसण्ण-15 चित्तं दट्ठ भणियं पहाणपुरिसेहिं । अजवि देव! जयंतीइ अस्थि अपरिक्खिओ एगो ॥९९८॥ नरसीहसुओ बलपोरिसिक-IN रसिओ रसायणपसिद्धो। नरविकमवरकुमरो सो वि परिक्खिज्जर नरिंद! ॥९९९॥ सामस्थिऊण सम्म तयत्थमहमित्थ पेसिओ | सामि! | तो नरवइणा वयणं निरिक्खियं निययतणयस्स ॥१०००॥ तेणाऽवि पणमिऊणं भणियं देवाणुभावो भव । होहिइ
सर्व पेसवह ताय! मं तत्थ किंबहुणा? ॥१००१॥ तो मंतिऊण सामंतमंतिनायरजणेण सह रण्णा । पेसविओ हरिसउरे हिदो नरविकमकुमारो॥१००२॥ अम्मोगइयाए नियमहत्तमो देवसेणनरवइणा । कुमरस्स पेसिओ चडंगरेण चउरंगबलकलिओ ॥१००३॥ तो गरुयविभूईए सोहणदिवसे पवेसिओ नयरे । नरनारिनियरनयणाण हरिसभरकारओ कुमरो ॥१००४॥ सयणासणवहुपरिवारसंजुओ धवलधयवडसणाहो । कुमरस्स वासहेउं समप्पिओ पवरपासाओ ॥१००५॥ बीयम्मि दिणे कुमरो भणिओ रण्णा महऽथि सीलमई। नामेण कण्णगा सा पभणइ जो कालमेहमिमं ॥१००६॥ मह मल्लमपडिमलं जिणिस्सइ होहिइ स ममं भत्ता । सह कित्तिजयपडायाहिं कुमर! ता गिण्हसु तयं ति ॥१००७॥ अंगीकयम्मि कुमरेण सजिया
१ईषत् । २ एतया । ३ अम्मो० आश्चर्य-सूचकोऽव्ययः । ४ आडम्बरेण ।
सामान्य
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