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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुदंसणा- ॥३७९॥ सा तुह धूया ससुरं, पुच्छिय इह आगया विसायगया । जम्हा कुलनारीणं, पई विणा पिउगिहे ठाणं ॥३८०॥ विजयकुचरियम्मि सो पुण कयाइ पत्तो, सिंहलपत्तम्मि रयणउरनयरे । तत्थ य कहमवि पत्तो, हट्टे सिट्ठिस्स संखस्स ॥३८॥ पुट्ठो तेण मारसरूद कओ तं, इहाऽऽगओ बच्छ ! ? तेण पुण भणियं । अहमागओऽमि रूसिय ताय ! इहं तामलित्तीओ ॥३८२॥ संखेण प्परूवग॥४२॥ तओ भणियं न सुट्ठ तुमए कयं ? पुण इयाणिं । मज्झ अपुत्तस्स तुमं पुत्तो भुंजसु इमं विहवं ॥३८३॥ इय भाणेय वीरभद्दो, नाम अट्ठ सप्पणयं तेण नियगिहे नीओ। पुधकयसुकयवसओ, चिट्ठइ नियजणयगेहव ॥३८४॥ अह तत्थ अस्थि कण्णा, निवस्स टू मुद्देसो। रयणायरस्स वररूवा । सा ऽणंगसुंदरी पुरिसंवेसिणी सबगुणकलिया ॥३८५॥ तीए पासे बच्चइ, पइदियह संखसिट्ठिणो धूया । विणयवई नामेणं, विणइकगिहं सही तीए ॥३८६॥ पुट्ठा य वीरभद्देण भइणि ! तं जासि कत्थ निच्चं पि? । तीइ हकहिए सरूवे, भणइ इमो तं पुणो एवं ॥३८७॥ सा कह गमेइ कालं ?, भणइ इमा वीणवायणाईहिं । सो भणइ तुह सहीए, पासे सद्धिं तए एमि? ॥३८८॥ भणइ इमा सा पिक्खइ नरस्स रूवं न बालगस्साऽवि । तो भणइ इमो रूवं, अहं करिस्सामि इत्थीए ।॥३८९॥ आमं त्ति तीइ वुत्ते, इत्थीरूवं नडुब सो काउं । रायसुयाइ सगासे, विणयवईए समं पत्तो ॥३९०॥ निवधूयाए पुढे, सहि ! केयं दीसए पवरजुबई? । ती उत्तं मज्झ ससा एसा तं दट्ठमिह पत्ता ॥३९१॥ अह रायसुयाइ तहिं, वरेहिं नववण्णएहि फलयम्मि । माणससरम्मि हंसी, विरहत्ता लिहिउमाढत्ता ॥३९२॥ तं भणइ वीरभद्दो, ४ा तए इमा विरहविहुरिया हंसी । आरद्धा किल लिहिउँ न तारिसं दिट्ठिमाई पुणो ॥३९३॥ अह लिहसु तुमं एयं ति C ॥४२॥ ३ पुरुषद्वेपिणी। MOREGAON For Private and Personal Use Only
SR No.020764
Book TitleSudansana Chariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUmangvijay Gani
PublisherPushpchandra Kshemchandra Shah
Publication Year1932
Total Pages296
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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