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अथवा परमाणु आदि द्रव्याने विषे ज पर्यायांनो निर्णय करवो ते द्रव्यप्रमाण. एवी रीते क्षेत्रप्रमाणादिमां यथायोग्य समास करवो. त्यां द्रव्यप्रमाण वे प्रकारे छे-१ प्रदेशनिष्पन्न अने २ विभागनिष्पन्न. आ बन्नेमा पहेलुं परमाणुथी आरंभीने अनंत प्रदेशिक स्कंध पर्यंत अने बजु विभागनिष्पन्न मान प्रमुख पांच प्रकारे छे, ते आ प्रमाणे- १ मान-धान्यनुं मान, ते सेतिका ( पसली प्रमाण) विगेरे, रसनुं मान, ते कर्ष (तोलो) विगेरे, २ उन्मान - बाजवाना तोला, शेर विगेरे, ३ अवमान-हाथ विगेरे, ४ गणित - एक बे विगेरे, ५ प्रतिमान- गुंजा ( चणोठी), वाल विगेरे, क्षेत्र - आकाश, तेनुं प्रमाण वे प्रकारे प्रदेशनिष्पन्नादि, मां प्रदेशनिष्पन्न - एक प्रदेश अवगाढथी लईने असंख्यात प्रदेश अवगाढ ( अवगाहीने रहेल ) पर्यंत अने विभागनिष्पन्न ते अंगुल प्रमुख. काल - समयनुं मान वे प्रकारे छे-१ प्रदेश निष्पन्न ते एक समयनी स्थितिथी आरंभीने असंख्यात समयनी स्थिति पर्यंत अने विभागनिष्पन्न ते समय, आवलिका विगेरे. क्षेत्र अने कालमां द्रव्यपणुं छते पण द्रव्यथी जे बेने जुदा कहेल छे ते जीवादि द्रव्योना विशेषकपणाए क्षेत्र अने काल विषे ते द्रव्योनुं पर्यायपणुं पण छे; माटे द्रव्यथी क्षेत्र अने कालनी विशिष्टता कवा माटे भेदनो निर्देश करेल छे. भाव ए ज प्रमाण, अथवा भावानुं प्रमाण ते भावप्रमाण, ते गुण, नय अने संख्याभेदथी त्रण प्रकारनुं छे, त्रणमां जीवना ज्ञान, दर्शन अने चारित्ररूप गुणो छे, तेमां ज्ञान प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमा अने आगमरूप गुणप्रमाण छे, नैगमादि नयो ते नयप्रमाण छे, एक वे विंगरे संख्या ते संख्याप्रमाण छे. (सू० २५८) देवना अधिकारथी ज विशेष जणावतां कहे छे के
X आ प्रमाणनी व्याख्यामां तृतीया, षष्ठी अने सप्तमी विभक्तिओना एकवचन अने बहुवचन लोघेज छे.
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