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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www kabarth.org Acharya Shri Kalassagarsuri Gyarmandie KAKKAKKAKKKKKKAKKKAKKAKKAKKK बडे दश वर्ष पर्यत भूमिने चीकाशवाळी करे छे. आ मेघ महावीर प्रभु पर्यंत वरसेल छे अने ४ जिम्ह नामनो महामेघ घणी वखत दृष्टिबडे एक वर्ष पर्यत भूमिने चीकाशवाळी करे छे अथवा न पण करे. (१५) (सू० ३४७) चार प्रकारना करंडीआ कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ चांडालनो करंडक-प्रायः चामडाथी भरेल होय, २ वेश्यानो करंडक-ते लाख सहित सोनाना घरेणा विगेरेथी भरेल होय, ३ गृहपति एटले श्रीमंत कौटुंबिकनो करंडक-उत्तम सुवर्णमणिना आभूषणथी भरेल होय अने ४ राजानो करंडक-अमूल्य रत्नोथी भरेल होय. (१६) ए दृष्टांत चार प्रकारना आचार्यों कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ चांडालना करंडक समान आचार्य, लोकरंजन करनार शाखने धारण करनार तेमज विशिष्ट क्रियाविकळ होय, आ अत्यंत असार छ. २ वेश्यान करंडक समान आचार्य, किंचित् शाखने दुःखबडे भणेल पण वचनना आडंबरवडे भोळा लोकोने खेंचनार होय, ३ गृहपतिना करंडक समान आचार्य, स्वसमय अने परसमयना जाणनार तथा क्रियायुक्त होवाथी सारभूत छे अने ४ राजाना करंडक समान आचार्य, समस्त आचार्यना गुणयुक्त सुधर्मास्वामीनी जेवा अत्यंत सारभूत छे. (१७) (सू० ३४८) चार प्रकारना वृक्षो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक वृक्ष शाल नामे छे अने शालना पर्यायवाळो-घणी छाया विगेरे गुणयुक्त छे, २ कोईक वृक्ष शाल नामे छे पण एरंडना पर्यायवाळो-अल्प छायादि गुणयुक्त छे, ३ कोइक वृक्ष एरंड नामे छे पण शालना पर्यायवाळोघणी छायादि गुणयुक्त छे, ४ कोईक वृक्ष एरंड नामे छे अने एरंडना पर्यायवाळो-अल्प छायादि गुणयुक्त छे. (१८) ए दृष्टांते चार प्रकारना आचार्यो कहेला छे, ते आ प्रमाणे-१ कोईक आचार्य जातिथी शाल-सुकुलीन अने सद्गुरुना कुलवाळा अने शालपर्याय-ज्ञानक्रियादि गुणयुक्त छ, २ कोईक आचार्य जातिथी शाल पण एरंडपर्याय-ज्ञानादि गुणथी हीन छे, ३ कोईक xxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx For Private and Personal Use Only
SR No.020755
Book TitleSthanang Sutra Ppart 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Maharaj
PublisherMundra Ashtkoti Bruhadpakshiya Sangh
Publication Year1943
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size20 MB
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