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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 環球赛赛赛赛赛赛赛赛赛赛赛赛赛赛赛赛赛来素業赛事表赛赛 अनुमान छे, केम के प्रमाण होवाथी प्रत्यक्षनी माफक ते भ्रांतेि रहित छ." आ साध्य विना न धनार हेतुथी उत्पन्न थवावडे पण उपचारथी हेतु छ. ३ उपमान ते उपमा, ते ज उपम्य, आधी 'रोझना जेवो आ बळद छे' एवी समानताना निर्णय रूप छे. कर्ष छ के-कोईक पुरुष बळदने जोइने जंगलमा घणा अवयवोनी समानता धारण करनार अने गोळ कंठवाळा अन्य रोझने ज्यारे जुए छ त्यारे तेज अवस्थामां आ पशुना जेवो आ बळद छे एबु जे ज्ञान प्रबर्त छे ते उपमान छे. अथवा सांभळेल अतिदेश वाक्यना समान अथेनी प्राप्तिने विषे संज्ञा अने संज्ञी(संज्ञावाळा)ना संबंधन जे ज्ञान ते उपमान कहेवाय छे.' आगम्यत' जेनावडे पदार्थो जणाय छ ते ४ आगम अर्थात् आप्तपुरुषना वचनवडे प्राप्त करवा योग्य अगम्य पदार्थना निणेयरूप छे. कयुं छे केतत्चना ग्रहण करावनारपणाए दृष्टवाध अने इष्टबाधथी रहित तेमज परमार्थने कहेनार वाक्यवडे थतुं जे ज्ञान ते शाब्द (आगम) प्रमाण कहेल छे. आप्तपुरुषे कहेलु नहिं उल्लंघन करवा योग्य, दृष्ट अने इष्टतुं विरोध नहिं करनालं, तचनो उपदेश करनारुं अने कुमार्गनो नाश करनारु समस्त शास्त्र छे. अहिं जेना विना उत्पन्न न थवाय ते हेतुबडे जन्य होवाधी अनुमान ज छे, पण कार्यने विषे कारणनो उपचार करवाथी हेतु छे. ते चतुर्भगीरूप होबाथी चार प्रकारे छे. १ अस्ति-विद्यमान छ तत्लिंगभूत धूम विगेरे वस्तु एम करीन ' अस्ति सः'-अग्नि विगेरे साध्य पदार्थ छ माटे आ हेतु अनुमान छे. बळी २ अग्नि विगेरे वस्तु छे, आने लईने तेनाबी विरुद्ध शीत विगो पदार्थ नथी, आ हेतु पग अनुमान छे. वळी ३ अग्नि विगेरे वस्तु नथी, तेथी शीतकालने विषे ते शीतादि पदार्थ छ, आ हेतु पण अनुमान छे. वळी ४ वृक्षत्वादि नथी माटे शीशमना झाड विगेरे वस्तु नधी, आ हेतु पण अनुमान छे. अहिं १ शब्दमां कृतकपर्नु अस्तिपणु होवाथी घटनी जेम अनित्यपणुं छे. Xxoxoxoxoxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxxx For Private and Personal Use Only
SR No.020755
Book TitleSthanang Sutra Ppart 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevchandra Maharaj
PublisherMundra Ashtkoti Bruhadpakshiya Sangh
Publication Year1943
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size20 MB
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